दू गो छोटहन कहानी

by | Feb 22, 2012 | 0 comments


(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 18वी प्रस्तुति)

– विनोद द्विवेदी

(एक) रोगी ले ढेर बैद

मुहल्ला में रिंकू सिंह के बोखार लागल त पड़ोस के कई लोग देखे पहुँचल. केहु कहल काढ़ा, केहु कहल क्रोसिन आ केहू हकीम जी के चटनी चाटे के सलाह दिहल. रामबरत कहलन, कूल्हि ले नीक ईहे बा कि सबेरे साँझ तुलसी पतई, मरिच आ हरसिंगार के पतई, खउलाइ के पी लऽ त बोखार उतरि जाई. रिंकू सिंह बोखार में तँवात रहबे कइलन, सबकर सलाह सुनि के चिचियइलन ‘अरे हऊ ईटंवा के टुकड़वा ले आ के हमरा खोपड़िया में मारऽ जा, बोखरवा भागि जाई.‘

(दू) जरि से ठीक होखे खातिर

सिंहासन पांडे के छोटकी लड़की बड़ी चल्हाँक आ काबिल रहे. पढ़े में अउरू तेज. एक बेर ओकरा अतना तेज बोखार लागल कि तीन दिन बाद देवेन्द्र राय का अस्पताल में भर्ती होखे के परल. दू दिन भर्ती रहला का बाद जब घर आइल त हम पड़ोसिहा का नाते हाल चाल लेबे ओकरा घरे पहुँचलीं. पांड़ेजी से ढेर जानकारी बुझला लड़किये के रहे, पुछला क पहिलहीं बोले लागल – ‘ विडाल टेस्ट भइला पर पता लागल कि मलेरिया वाला बोखार ह. डाक्टर साहेब हऊ दवाई देले रहलन.‘ ऊ मेज पर इशारा करत बोलल. हमहूँ के दवाई क थोर बहुत जानकारी रहे. एही से टेबलेट वाला पत्ता उठाइ के पढ़लीं. फेर ओसे पुछलीं, मलेरिया में त ई डोज ढेर बुझाता तू ई टबलेट क गो खइले बाड?‘ ऊ टन से बोलल ‘छव गो.‘ हम ओके अब ऊ टेबलेट
खाये के मना कइलीं त ऊ बोलल ना, ना उ ढेर नइखे.‘ हम घरे चलि अइलीं. साँझि के जब पांडेजी कि ओके देखे गइलीं त ऊ जीभि काढि के हाँफत रहे. सुराही के कूल्हि पानी पी चुकल रहे, तबो पानी माँगत रहे. आखिर फेर अस्पाताल ले जाए के पड़ल. ओइजा चार बोतल ग्लूकोज चढ़ला का बाद जब ठीक भइल त न्यूरो-प्राब्लम. पुछला प बलवलस कि ऊ जरि से ठीक होखे खातिर, दूगो अउर टेबलेट खा लेले रहे. जानि लीं कि मुवला से बांचल.


पिछला कई बेर से भोजपुरी दिशा बोध के पत्रिका “पाती” के पूरा के पूरा अंक अँजोरिया पर् दिहल जात रहल बा. अबकी एह पत्रिका के जनवरी 2012 वाला अंक के सामग्री सीधे अँजोरिया पर दिहल जा रहल बा जेहसे कि अधिका से अधिका पाठक तक ई पहुँच पावे. पीडीएफ फाइल एक त बहुते बड़ हो जाला आ कई पाठक ओकरा के डाउनलोड ना करसु. आशा बा जे ई बदलाव रउरा सभे के नीक लागी.

पाती के संपर्क सूत्र
द्वारा डा॰ अशोक द्विवेदी
टैगोर नगर, सिविल लाइन्स बलिया – 277001
फोन – 08004375093
ashok.dvivedi@rediffmail.com

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सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
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पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


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सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


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दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
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सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
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सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


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एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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