आजु जब हम ई लिख रहल बानी त मन बहुते अँउजाइल बा. तीन दिन से कुछ काम नइखे हो पावत. सगरी धेयान ओहिजा लागल बा जहवाँ दू गो पक्ष एह तरह से लड़त बा कि “बतिया पंचे के रही बाकिर खूंटवा रहिये पे रही”. केहू दोसरा के सुनल नइखे चाहत आपने राग गावऽता. “हम कहीं से सही तोहार काहे रही” वाला बहस जब दू पक्ष में होखे लागे त तिसरइत के फायदा होखे लागेला. अबहियो उहे हो रहल बा. जे खुद कुछ नइखे कर पावत, जेकरा गोहार पर केहू आवत नइखे, जेकर निहोरा केहू सुनत नइखे ओकरो मौका मिल गइल बा बहत गंगा मे डुबकी लगा लेबे के. सुनत आइल रहनी कि नेता तीन तरह के होले आ आजु देखहू के मिले लागल बा. पहिला ऊ जे अपना पीछे चले वाला लोग जुटा लेव, दुसरका ऊ जे भीड़ देख के आगे कूद जाव आ तिसरका ऊ जेकरा के देख के साफ ना हो पावे कि लोग ओकरा पाछा बा कि ओकर पीछा करत बा. एहू आग में आपन लिट्टी सेंके वाला लोग के कमी नइखे. बाकिर कहल गइल बा कि आपन बेटिया निमन रहीत त बिरान पारीत गारी ! जब कमी अपने बेटी में बा त लोग त गारी देबे करी. आजु सरकारो के इहे हाल हो गइल बा. अतना सलाहकार जुट गइल बाड़े ओकरा लगे कि कुछऊ ठीक से नइखे हो पावत. पहिला माला पहिराई फेर गरियाई. जब देखी कि गारी उलटे पड़त बा त कह दी कि ना अब गरियावे के नइखे. पहिले जेल भेज दीं, फेर ओकरा पाछा खड़ा भीड़ देखि के ओकर रिहाई के आदेश दे दीं. आ देखीं ना सामने वाला राउर कमजोरी पकड़ि के केतरह अपना शर्त पर अड़ गइल बा. चाहीं त अतना आ ना देबऽ त ले के रहब. अब एह “उगिलत आन्हर निगलत कोढ़ी” वाला हालात में दोसर केहू त ले आइल नइखे. एहीसे कहल जाला शायद कि “हे भगवान पगलवा के नोह मत दीहऽ ना त अपने के बखोर ली !” अइसनका जमात के दुश्मन के कवन जरूरत. ऊ त अपने आपन टाँग काटे खातिर बहुत बा.जबकि राजनीति कहेला कि सामने वाला के अतना लमहर डोर दे दीं कि ऊ अपने अझूरा जाव आ रउरा बस एक बेर झटका दिहल बाकी रहे ! एही तरह के एगो सूत्र वाक्य अउरी हवे कि अपना दुश्मन के चेहरा पर वार मत करीं आ ओकरा के कबो कोना में मत घेरीं हमेशा भागे के जगहा दे के राखीं ! (18/08/11)
0 Comments