बोली-भाषा के कविता : आ ओकरा सुघराई के गाँहक

by | Jan 8, 2023 | 0 comments

भोजपुरी दिशा-बोध के पत्रिका पाती के नयका अंक आ गइल। पेश बा ओकरा संपादक डॉ0 अशोक द्विवेदी जी के “हमार पन्ना” –

एघरी कविता जवना लूर-ढंग , शैली आ कलात्मक अन्दाज से, मौलिक शब्द-सँवार वाली भाषाई-बिनावट में लउक रहलि बिया ओके देखि-पढ़ि आ सुनि के मन अगरा जाता! भाव-संबेदन आ कथ के नया अर्थवान उरेह का कारन, कविता प्रेमी पढ़वइया-सुनवइया लोग के रुझान आ सवादो बढ़त बा ! बाकिर एगो सवाल इहो बा कि कविता से अउँजाइल-पाकल लोगन के ध्यान अइसनका सुघर-सवदगर कबिताई का ओर कब फिरी ? कब ओ लोगन के नजर एकरा ओर जाई?

बोली-भाषा का क्षेत्रीय विशेषता से कवनो इनकार नइखे।हर माटी के आपन खूबी-खुसबू होले, फेर खित्तावार खूबी वाली भोजपुरी के त पुछही के नइखे! गुरहर्सन (ग्रियर्सन) से लगाइत आजु ले केतना लोग ए भाषा के खूबी लिखल । इहाँ बात ए भाषा का कविता के हो रहल बा। अब कबिता बा, त चीझ -बतुस लेखा ओके नापे जोखे, तउले के बाट बटखरा, तरजूई आ नपना होखही के चाहीं। एइजा नाप जोख के खास लोगवो बा। बाकि एमे तनी पेंच आ झंझट बा। बा त, बा। केहू मात्रा देखत बा, केहू गुन-गुनधर्म (क्वालिटी)। केहू मात्रा-स्टाक (क्वान्टिटी) देखेता, केहू रूप सुघराई आ सवाद से अन्दाज लगावत बा । हमनी का ओर पहिले जवन नपना आ बटखरा रहे, छटाक, पउआ, सेर-पंसेरी वाला, आजकल ग्राम, लीटर, किलो किन्टल में बदल गइल बाकिर जोखे वालन में एगो ‘केंड़ी मार’ रहे, ऊ नइखे बदलल, आ बदले के उमेदो नइखे, ऊ जोखी तऽ केँड़ी मरबे करी। बात कुबात, कुतरक आ पेंच के कमी नइखे ओकरा पास।

पहिले ‘सुबरन’ के चाहे, जोहे वाला कबि, ब्यभिचारी आ चोर के जिकिर होत रहे। अब कबि, व्यभिचारी आ चोर के नया नजरिया, नया नपना, नया तरक से देखल जाता। जइसे ऊ हिन्दू हवे कि मुसलमान? हिन्दुए हऽ त कवन जात के हऽ, बाम्हन हवे कि पिछड़ा? आकि दलित? सेकुलर हवे कि ना ! हमनी का प्रदेश के हऽ कि दोसरा प्रदेश के ! प्रोगरेसिभ हवे कि पोंगापंथी! गोयाकि एघरी पेंच आ पेंचकस बढ़ल बा साहित्त जोखे में।

‘सु बरन’ के कविता आ ओकर कवि लोग के एघरी एह दिसाई चुनौतियो बढ़ल बा ! अब ओह लोग के ईहो सोचे के परी कि ऊ अपना आ परिवेश-प्रकृति वाला जीवन-संसार के केन्द्र में राख के लिखो-गावो कि एह केंड़ीमारन के सोच आ नजरिया वाला, दोसरा ‘लोक’ के बाट बटखरा, नपना आ तरजूई आ नजरिया के खारिज कइ के, केनियो कचरा में फेंक देव!

– डॉ0 अशोक द्विवेदी

(पाती के दिसम्बर 2022 अंक से साभार)

Loading

0 Comments

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

संस्तुति

हेल्थ इन्श्योरेंस करे वाला संस्था बहुते बाड़ी सँ बाकिर स्टार हेल्थ एह मामिला में लाजवाब बा, ई हम अपना निजी अनुभव से बतावतानी. अधिका जानकारी ला स्टार हेल्थ से संपर्क करीं.
शेयर ट्रेडिंग करे वालन खातिर सबले जरुरी साधन चार्ट खातिर ट्रेडिंगव्यू
शेयर में डे ट्रेडिंग करे वालन खातिर सबले बढ़िया ब्रोकर आदित्य बिरला मनी
हर शेेयर ट्रेेडर वणिक हैै - WANIK.IN

अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 10 गो भामाशाहन से कुल मिला के पाँच हजार छह सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)


18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
रामरक्षा मिश्र विमत जी
सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


अँजोरिया के फेसबुक पन्ना

Categories

चुटपुटिहा

सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


अउरी पढ़ीं
Scroll Up