“भोर भिनुसार” संतोष कुमार के कविता संग्रह हटे, जवना के प्रकाशन सन् 2015 में शारदा पुस्तक मंदिर, एफ- 163/डी, दिलशाद कोलानी, दिल्ली-110095 से भइल बा. एकर कीमत 250 रुपिया बाटे.
संग्रह के मए कविता छंदमुक्त बाड़ी सन. इहाँके मेला शीर्षक कविता के एगो काव्यांश देखल जाव –
ई दुनिया एगो मेला हऽ
बड़का झमेला हऽ
अदिमी के भीड़ हऽ
कबहूँ बसत तऽ कबहूँ
उजड़त नीड़ हऽ
(“भोर भिनुसार” से)
जन-जीवन से जुड़ल अनेक विषयन पर एक से एक कविता एह संग्रह में बाड़ी सन. उमेदि कइल जाएके चाहीं कि एकराके पाठक वर्ग जरूर पसन्न करी.
– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल
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