कहल गइल बा कि राजा अनेरिया हो जाव त ओकरा के सुधारे सम्हारे के उपाय कइल जा सकेला बाकि अनेरिया राजा बनि जाव त ओकर कवनो उपाय ना कइल जा सके. अब के जमाना मे अपना देश मे राजशाही त नइखे बाकि आजु के शासक अपना के राजा से कम ना समुझसि. जहें मन करे बइठ सकेले, जहें मन करे सूत सकेले, जहें मन करे थूक सकेले आ जहें मन करे मूत सकेले. बहुते शासक लोग का लगे ना त नीति बा ना नीयत कि जनता के भलाई कइसे करसु तबो अपना के जितावे वाला जनता के भरमावे, बहलावे ला हमेशा कवनो ना कवनो नाटक नौटंकी करत रहेले. अब एह बारे मे हमार अउरी बोलल ठीक ना कहाई काहे कि बाति बहकि जाई बतकुच्चन से हटि के बतरस प भा बकतूत प चलि जाई. से छोड़ीं इ सभ फेरा लवटलि जाव बतकुच्चन करे प.
बाति अनेरिया के निकलल त कई गो शब्द मन मे घुमे लागल जवना प बतकुच्चन कइल जा सके. सोचे लगनी कि आखिर अनेरिया शब्द बनल कइसे? अनेरिया मे शायद कवनो संधि नइखे तबो शब्द तूड़ के अ आ नेरिया अलग कइल जा सकेला. अनेरिया त समुझनी बाकि हइ नेरिया कवन चीज ह. एह बात के जवाब खोजे मे अनेरिया के देखनी त लागल शायद अनेरिया ओह आदमी के कहल गइल होखी जे नरिया भा नरी से फरका बहत चलत होखे. नरिया खपड़ा त अब कमे देखे के मिलत बा काहे कि नरिया बइठावे के बाते छोड़ी नरिया बनावे वाला ना मिलसु अब. आ जब नरिया खपड़ा ना हमरा लगावे के बा ना रउरा, त ओकरा अर्थशास्त्र प सोचल बेकार बा. त जे कवनो नियम कायदा, नीति सिद्धांत के नरिया भा नरी से अलगा चलत होखे उहे अनेरिया हो गइल.
पहिले के जमाना में अनेरिया के झुड ना मिलत रहे काहे कि अगर झुंड बनि गइल त उ अनेरिया के सिद्धांत से उलट होखी. परिवार गाँव समाज मे एकाध गो अनेरिया हो जासु त ओकरे से लोग परेशान रहेला अब त अनेरिया आपन गोल बना के चलत बाड़े सँ. गनीमत बा कि चिन्हे ला अपना मूड़ी प टोपी डाल लिहले बाड़न सँ कि उ अपनो के चिन्हस कि के आपन ह के पराया आ लोगो सावधान हो जाव. टोपी के मसला से देश समाज त पहिलही परेशान रहुवे काहे कि टोपी पहिने वाला दोसरा के अतना टोपी पहिरा दिहले कि टोपी वालन के पूछ कम हो गइल. लोग टोपी पहिरे के तइयार नइखे होखत. कुछ लोग भड़क सकेला आ हमहु मानत बानी कि आजुओ देश मे बहुते लोग बा जे टोपी पहिरेला, टोपी ओकर पहिचान बन गइल बा आ ओहमे से कई लोग मान सम्मान के जोगो बा. हम बता दीहल चाहत बानी कि हमार मकसद बस नेतवन के टोपी से बा. अब तनी एहु प बतकुच्चन क लिआव कि नेता शब्द कइसे बनल.
नेता माने जे नेतृत्व करे, समाज के अगुआ होखे. बाकिर नेतृत्व शब्द नेता से बनल बा नेतृत्व से नेता ना बनल होखी. एकर चर्चा अंडा आ मुर्गी वाला हो जाई जवना के कवनो ओर छोर ना मिली. अइसने जवना के ओर छोर ना होखे, जवना के कवनो अंत ना होखे ओकरा के नेति कहल जाला. नेति माने ना इति. अइसने एगो नेती होला. नेती माने महिला नेता ना होखे. नेती मथनी पर लपेटल रस्सी के कहल जाला जवना के पारा पारी खींच के मथनी नचावल जाला. त सोचत बानी कि रउरो जवाब मिल गइल होखी कि नेता कइसे बनल. नेता बनल होखी नेति आ नेती से, जेकर कवनो अंत ना होखे, जे शाश्वत होखे, जे अपार होखे, आ उहो जे जनता के मथत होखे. हमनिओ का लगे जब तब मौका मिलेला अपना नेता के बदले के काहे कि जब घिसात घिसात नेती टूटे प आ जाला त ओकरो के बदलही के पड़ेला.
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