कदुआ पर सितुहा चोख (बतकुच्चन – १२५)

by | Sep 9, 2013 | 0 comments


कदुआ पर सितुहा चोख. एह भोजपुरी कहाउत के मतलब होला कि कमजोर भा सिधवा पर उहो भारी पड़ जाला भा तेज बन जाला जे वइसे त महाभोथर गिनाला. अइसने एगो अउर कहाउत ह कि गरीब के जोरू गाँव भर के भउजाई. एहिजा गरीब के मतलब धन आ बल दुनु के कमजोरकन से बा. बेकत से बेंवत ना होखे. अधिका बेकत वाला परिवारो आजु का जमाना में गाँव के कमजोरका बनि के रहे के मजबूर बा. ओकरा अतनो बेंवत नइखे जे उ अपना संग होखे वाला अत्याचार के विरोध कर सको. आपन हक माँगे के लड़ाई लड़ सको. आजु के राजनीतिक व्यवस्था में ओकर कवनो आवाज नइखे रहि गइल. सभे लागल बा ओकरा के दुत्कारे रिगावे में. सभे जानत बा कि ओह परिवार में एका नइखे, एक दोसरा के टँगड़ी खींचे में सबही लागल बा. ओकरा के गोतिया देयाद परेशान नइखन करत. ओकरा के परेशान करत बाड़े ओकर आपने जामल, आपने परिवार के लोग जे लोग के अपना परिवार से अधिका नीक गोतिया देयाद लागे लागल बा. अब रउरो जानते बानी कि आजु अइसहीं सितुहा भा गरीब के जोरू के चरचा नइखे उठल. बतकूचन करे ला कुछ चाहीं आ एह हफ्ता इहे भेंटाइल बा. एह हफ्ता यूपी में परिक्रमा आ पराक्रम के मुकाबला देखे के मिलल आ हमेशा का तरह कमजोरका हार गइल. अइसनो ना कहल जा सके कि परिन्दो पर ना मार सकल. कहहीं के होखे त कहल जा सकेला कि परिन्दा पँख फड़फड़ा के रहि गइल. आ ई घटना ओह देश के, ओह इलाका के ह जहाँ आतंकियन पर से मुकदमा उठा लिहल जाला, जहाँ के केन्द्र सरकारो एगो खास जमात के आतंकियन के मुकदमा लड़े में सहायता देबे के बात करेले. जहवाँ एगो आतंकी के पेसमेकर लगावे में देरी ना होखे. एही देश में अइसनो लोग बा जिनका पर कवनो आरोपपत्र दाखिल ना भइल बाकिर जमानत नइखे मिलत. कैंसर से मरत बाड़ी बाकिर केहू देखे सुनेवाला नइखे. रउरा सभे त शायद प्रभा ठाकुर का बारे में सुनलो ना होखब. एहिजा प्रभा बस प्रतीक भर बाड़ी. कहे के मतलब बा कि उ खूनो कर देसु त ओकर चरचा ना होखे आ हमरा आहो भरला पर आफत बा.बाकिर सुनले बानी कि एक ना एक दिन घूरो के दिन फिरेला आ शायद हमनी के ओही दिन के तिकवत बानी जहिया हमनियो के सुनल जाई, जहिया हमनी में एका होखी. एक देश, एक मकसद के.तबले आईं फेर पीछे लवटल जाव बेकत आ सवाँग पर. जब बेकत आ बेंवत के चरचा कइले रहीं त मन बेकत आ सवाँग में अझुराए लागल रहुवे. बाकिर हमरा बात पूरा करे के रहुवे से ओह बेरा बेकत आ सवांग में ना अझुरइनी. अब ओकर चरचा करिए लेत बानी. वइसे त बेकत आ सवाँग व्यक्ति आ सर्वांग के बिगड़ल रूप कहल जा सकेला. बाकिर एहिजा रूपे नइखे बिगड़ल चालो चलन बिगड़ गइल बा. मतलब कि शब्द के रूप त बदलले बा ओकर मतलबो में बदलाव आ गइल बा. बेकत के मतलब घर परिवार के व्यक्ति त होखबे करेला पत्नीओ ला बेकत के इस्तेमाल होखेला. दोसरा तरफ सवांग परिवार के सदस्य त होला साथही पतिओ खातिर सवाँग शब्द के इस्तेमाल होखेला.सवाँग जवना सर्वांग से बनल चलत चलत ओकरो बारे में कुछ. सर्वांग माने सर्व अंग, समहर के हिस्सा. सवाँग सभकर अंग, सदस्य होला बाकिर पत्नी ला त सर्वांग, सब कुछ होखेला.

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(1)


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(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
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(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

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रामरक्षा मिश्र विमत जी
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एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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