खानल, खोनल, खोदल (बतकुच्चन – १३३)

by | Nov 9, 2013 | 0 comments


आज चलीं कुछ खानल, खोनल, खोदल जाव. अब बात ला हमरा के खोदी मत काहे कि हम त बस खोरल चाहत बानी आ आग हमार लगावल ना ह.

बात जब खोदला के आइल त खोदल देवाल के हो सकेला, जमीन के हो सकेला भा कवनो आदमी के. देवाल दीवार के बिगड़ल रूप ह, “द वाल” के ना. जइसे भोजपुरी के नियर आ अंगरेजी के नियर दुनु के मतलब एक होखला का बावजूद एकरा के एगो संजोग मानल जाला वइसही देवाल आ द वाल दुनु के मतलब एक होखला का बावजूद संजोग से बढ़ के कुछ ना ह. हमरा कवनो खदान के सपना नइखे आइल बाकिर एह घरी चरचा बस खोदला आ खोदववला के होखत बा त हमहू एह बहाने चहली कि कुछ खोर लिहल जाव.

खोरल आगे के ना जाव कवनो भंडारो के खोरल जा सकेला. खोरला के मकसद बस सब कुछ उथल पुथल क देबे के होला. आ एहसे भुलाइल दबाइल कवनो चीझ मिलिओ सकेला. एही तरह जब आग धीमा पड़े लागेला आ उपर के परत राख से तोपाए लागेला त ओकरा के खोर के खउर दिआला. वइसहीं कबो कुछ भुलाइल खोजे खातिर लोग पूरा घर खउर देला. लागेला जइसे धरती डोलल होखे आ सब कुछ उथल पुथल क देले होखे. अब एह चरचा के अउरी खोरला बिना हम आगे बढ़त बानी. बाकिर आगे बढ़ला का पहिले तनी पिछला – ‘आगे के ना खोरल जाव’ – वाला बात पर लवटल जाव. पिछला बेर आग का संदर्भ में बात करत ‘आगे’ के इस्तेमाल भइल रहे. भोजपुरी के एह सुभाव का चलते हिंदी वालन के तनी अचकचाह लागेला. संस्कृते से दुनु बहिन उपजली भोजपुरी आ हिंदी. भोजपुरी बड़ बहिन होखला का बावजूद पिछुआ गइली जब छोटकी बहिन आगे निकल गइल. खैर एह पचरा में नइखे पड़े के. काहे कि छोटकी के आपन महतारी मानेवाला लोग बड़की से अधिका हो गइल बा. लेकिन एहिजा बात भोजपुरी के सुभाव के होत रहे जहाँ संज्ञो के रूप बदल जाला हिंदी का तरह विभक्ति चिह्न के बिंदी ना लगावल जाव. भोजपुरी में भी आ ही के इस्तेमाल कई बेर असहज लागेला भोजपुरियन के त संज्ञा के रूप बिगाड़े में हिंदी वाले सकुचा जाले. त अब “आगो” के बात करत आगा भा आगे निकलल जा सकेला.

हँ त हम बतियावत रहीं खोदला के. कबो कबो ढेर देर से गुम्मी सधले आदमिओ के खोदल जाले कि कुछ त बोले. ई खोदल अंगरेजी के पोक कइला का तरह होला जेकरा से सगरी फेसबुकिया बढ़िया से जानत होखीहें. बाकिर कवनो जरूरी नइखे कि पोकियवला भा खोदला का बावजूद गुम्मी सधले आदमी कुछ बोलिए जाव. ठीक ओही तरह कवनो जरूरी नइखे कि खोदला का बावजूद ऊ चीझ भेटा जाव जवना ला खोदे के काम शुरू भइल रहुवे. याद करीं कबो कबो रउरो संगे अइसन भइल होखी कि खोजे चलनी कुछ अउर बाकिर भर घर खोर मरला का बाद ऊ चीझ त ना मिलल बाकिर कवनो दोसर अइसन चीझ मिल गइल होखे जवन भुलवा दिहलसि कि रउरा खोजे का चलल रहीं.

वइसे त खोदल भा खोनल एके बात होला बाकिर तनी गहिराई से देखीं त लागी कि देवाल भा आदमी के खोदे ला त खोदला के इस्तेमाल अधिका सहज लागी बाकिर जमीन खोने ला खोदला से अधिका सहज लागेला खोनल. काहे कि खोनल शब्द खान का नजदीक लागेला. अब एह खोदल आ खोनल के जिकिर छेड़ के डर लागऽता कि कहीं कवनो भाषा प्रेमी हमरा के खाने में मत लाग जाव. खानल कूटल जानीले नू? ओखरी में मूसर के मार से खानले कूटल नू जाला.

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