नीक भा निमन (बतकुच्चन – 196)

by | Jan 25, 2016 | 0 comments

adminपिछला बेर निमन के चरचा भइल रहुवे. चरचा पूरा ना पड़ल काहे कि ओह बात के अउरीओ तरह से देखल जा सकेला. आ आजु ओकरे के दोसरा कोण से देखे के कोशिश करऽतानी.

निमन भा नीक के मतलब होला बढ़िया, उत्तम, अच्छा. निमन भा नीक हमेशा कवनो दोसरा तुलना का हिसाब से देखल जाला. तोहार काम निमन बा कि हमार, तोहार बनावल नीक लागत बा कि हमार. अइसन कबो ना हो सके कि नीक भा निमन सबका ला नीक भा निमन होखो. हमेशा कुछ ना कुछ लोग खातिर कवनो निमन भा नीक बात बाउर हो सकेला आ होखबो करेला. एके तरह के बेवहार खातिर बेटा के शिकायत आ दामाद के बड़ाई त रउरो सभे सुनलही होखब. जवना के बेटी के गुण बतावल जाला उहे पतोहिया के दोस बन जाला. तिखर घाम होखे त माटी के बनावल सामान सुखावे वाला ला निमन रही बाकिर खेती बाड़ी करे वाला बाग बगइचा वाला माली खातिर परेशानी के दिन हो जाला.

एक दिन अपना परिचित से पूछनी कि चाचा बुढ़ापा के देखभाल कइसे होखत बा? अरे का पूछले बाड़ऽ? बेटी दामाद बीच-बीच में आ के देखत-भालत रहेलें सँ. फेर हम पूछनी कि आ बेटा-पतोहू? त कहलन कि ओकनी का बारे में त पूछबे मत करऽ हमेशा अपना बेमार सासे-ससुर के देखे जात रहेलें सँ. एही तरह चाची से पूछनी कि का हाल बा घर परिवार के? पतोहिया त बड़ी गुनगर आइल बिया. कहली कि हँ बबुआ बहुते गुनगर हियऽ? भतार के अपना अंंगुरी पर नचवले रहेले आ बेटा हमार अइसन मउग निकल गइल कि पतोहिया से पूछले बिना कुछ करबे ना करे. फेर जब बेटी दामाद का बारे में पूछनी त कहली कि किस्मत बढ़िया रहुवे कि दामाद नीक भेंटा गइल. बेटी के बहुते मानेला. बिना ओकरा से पूछले कुछउ ना करे. आ बेटीओ मलकिनी बन के रहतिआ.

हम चुपचाप आपन रहता धइनी. जानत रहनी कि चाची से आगे बतियवला से कवनो फायदा ना होखी उलुटे हमरे के घर फोड़वा कहे लगीहें. बाकिर सोचीं कि एके तरह के बेवहार खातिर एक आदमी निमन आ दोसरका के बाउर कइसे कहल जा सकेला. ठीक ओही तरह निमनो दिन का बारे में कहल जा सकेला. जब जनता के निमन दिन आई त कुछ लोग ला जरूरे बाउर दिन हो जाई. ऊ लोग त ओह पुरनका निमन दिन के तिकवत रहि जाई जब करोड़ों अरबों के घोटाला के जीरो-लाॅस (कुछउ नुकसान ना) बतावल जात रहुवे. काम के इज्जति होखे लागे त देहचोरवन के निमन दिन कइसे आई. पुलिस ठीक से काम करे लाग जाव त चोर-चकारन के निमन दिन केने रही? एहसे ई सवाल त हमेशा बनल रही कि निमन दिन केने बा, कब आई. रउऱा ला निमन दिन कुछ अउरे होखे वाला बा हमरा ला कुछ अउरे.

आ जब निमन आ नीक के अतना चरचा कर लिहनी त तनी बाउरो का बारे में बतिया लीहल जाव.

बाउर माने खराब, गुणहीन, स्वादहीन. जइसे कि निमन कुछ खास संदर्भ में निमन होखेला ओइसहीं बाउरो कुछ संदर्भ में बाउर कहाला. निमन आ बाउर हमेशा निमन भा बाउर ना होखे. बाउर कबो कबो मजबूरिओ में बने के पड़ेला. याद आवत बा एगो भोजपुरी कहाउत कि अपना दुख से भइनी बाउर, के कूटी सरकारी चाउर? कहे के मतलब कि अपना मजबूरी में हमरा बाउर बने के पड़ गइल आ एह हालात में कवनो सामाजिक काज हमरा से होखे के उमेद मत करीं.

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