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अंगुरी में डँसले बिया नगिनिया ए ननदी, सईंया के जगा दे!
पोरे पोरे उठऽता लहरिया ए ननदी भईया के जगा दे.

कबो महेन्दर मिसिर ई पूरबी लिख के मशहूर हो गइल रहलें. आ आजु ले एकर लहर थमल नइखे. अबहियों ई लहर ओहि तरह लहरावत रहेले जब ना तब. बाकिर रउरो जानत बानी कि हमरा एहिजा नगिनिया के डँसला से फइलत जहर के चरचा नइखे करे के. एहिजा आजु देश के चुनावी माहौल में उठत लहर के चरचा करे के बा. लहर आ लहरावल, फहरावल आ लहरावल, लहोका आ लुहेरा के चरचा करे के बा. करे के त चाहत रहे हर हर के चरचा बाकिर हर हर गंगे से अधिका हर हर महादेव भारी पड़ गइल बाड़ें. हर हर के चरचा अतना हो गइल बा कि सभे हर हर के बात बतियावत बा. हर हर के माने जानत होखो भा ना. हर हर पता ना संस्कृत के शब्द ह कि अइसहीं उद्घोष में काम आवे वाला नारा के हिस्सा. बाकिर बड़ बूढ़ एकरा के महादेव से नत्थी क दिहले बाड़न त ओह लोग के बात मानिए लिहला में फायदा बा. गंगा जी त बचावे ना अइहें आ शंकर महादेव के कोप से भगवानो ना बचा पइहें. एहसे बकसऽ ए बिलार, मुरगा बाँड़ हो के रहीहें!

बाकिर लहर के चरचा करे में आ केहू के लहरा देबे में कवनो हरज नइखे. लहर खातिर अंग्रेजी में वेभ शब्द इस्तेमाल होला बाकिर एगो लहर उहो होला जवना के अंगरेजी में ब्लेज कहल जाला. आगि के लहर आ पानी के लहर, केहू के समर्थन के लहर आ केहू से नफरत के लहर. सब त लहरे ह बाकिर एक आदमी के लहर दोसरा के लहराइओ सकेला एकर नमूना एह घरी रोजे देखे के मिलत बा. लहरावल शब्द के इस्तेमाल हिंदी मे शायदे होखे बाकिर भोजपुरी में लहरावल शब्द पूरा ताकत से मौजूद बावे. केहू के रिगा के खिसिया के अगिया बैताल बना दिहला ला लहरावल शब्द के इस्तेमाल होखेला. झंडा लहरावे खातिर वाजिब शब्द फहरावल होखे के चाहीं. लहर आ फहर के अंतर बूझे के बा त पानी के लहर आ झंडा के फहरइला प धेयान देबे के पड़ी. लहर नीचे उपर उठत गिरत आगे बढ़त रहेला आ किनारा से टकरा के फेरु वापिस लवट जाले. जइसे कि कवनो नेता के लोकप्रियता के लहर ओकरा विरोधियन प ना चल पावे आ ओहिजा से टकरा के ओकरा लवटे पड़ेला. फहरे में उठे वाला लहर लवटे ना. उ आगा बढ़ के लोप हो जाले. लहर नीचे उपर उठेले त फहरे वाला लहर पीछे से आगा बढ़ेला. पानी के फहरा ना सकीं झंडा के जरूर लहरा सकीलें. बाकिर झंडा हाथ में ना रह के डंडा प लागल होला तब उ लहरे ना, फहरेला.

अब रउरा लहराईं भा फहराईं हम चलीं तनी हर हर कर लेबे. बाकिर सोचीं जरूर कि हर हर खाली महादेवे आ गंगा जी ला काहे इस्तेमाल भइल. हर हर विष्णु भा हर हर सरजू काहे ना कहल गइल? कवनो खिलाड़ी के भगवान कहला प धरम के हानि ना होखे, कवनो नेता के मूर्ति लक्ष्मी जी जइसन बना के पूजहु में केहू के धरम ना जाव. बाकिर केहू का नाम से जोड़ के हर हर कह दिआव त धरम के हानि होखे लागेला. बात सोचे वाली बा. रउरो सोचीं हमहूं सोचीं सोचे के आजादी बा.

बतकुच्चन

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By Editor

One thought on “पोरे पोरे उठऽता लहरिया ए ननदी (बतकुच्चन – 154)”

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