KamleshRai

– डा॰ कमलेश राय

सबरे भोरे अब त चिरईओ ना बोले.
अब त चिरईओ ना बोले सबेर भोरे.

सगरो बिछल अस कारी रइनिया
सकुचि सकुचि उगे सुरुज किरिनिया
फुलवा पँखुरओ ना खोले,
सबेरे भोरे अब त चिरईओ ना बोले.

उजरि गइल सब महुआबारी,
निबियो ना लउकेले बाबा दुआरी.
पिपरा पतइओ ना डोले,
सबेरे भोरे अब त चिरईओ ना बोले.

अब ना सनेसवा पठावे कहीं बदरा,
हरफ हरफ ना ढरे कहीं कजरा,
सुधिया मिसिरओ ना बोले,
सबेरे भोरे अब त चिरईओ ना बोले.

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कुछ त कहीं......

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