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डेढ़ अछरी पाठशाला

by | Jun 30, 2014 | 2 comments

– डॉ० हरीन्द्र ‘हिमकर’

HarindraHimkar

पेट आ पाटी का बीच
खाई ना भर सकला से
रूसल रहि गइली सुरसती
हमरा बंश से
आ हमरा अंश से जामल
कवनो बिरवा
पनिगर ना हो सकल
हम ना बो सकलीं
सेंउठियाइल ‘सुखिया’ का कोख में
मेधा के ब्लाॅक वाला बिया
जवन, बिना खाद-पानी के
लह-लहा जाव
हमरा खून में विधाता ना भरलें
ऊ तेज, जे हमर बाबू
लँगटे, उघारे पेट जाँति के
पाटी कँखिअवले दउर जासु
डेढ़ अछरी पाठशाला
ढबर-ढबर पेट बजावत
डबर-डबर आँख चोरावत.


डॉ० हरीन्द्र हिमकर
अध्यक्ष हिंदी विभाग
के० सी० टी० सी० कॉलेज, रक्सौल, पूर्वी चम्पारण, बिहार ८४५३०५
मोबाइल :- 09430906202
भोजपुरी एवं हिंदी भाषाओं में नियमित लिखत रहीले. एगो भोजपुरी खण्ड काव्य ‘रमबोला’ आ एगो बालगीत संग्रह ‘प्यारे-गीत हमारे गीत’ प्रकाशित हो चुकल बा.

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2 Comments

  1. manas ranjan

    impressive !!
    really good one

  2. amritanshuom

    बहुत क्ष्रेष्ठ रचना ….

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