– नूरैन अंसारी
नंबर कौनो भी मेहमान के आवेला उनका बाद जी.
अतिथि में सबसे श्रेष्ट मानल जालेन दामाद जी.
पाहून जब कबो जालेन अपना ससुराल में.
घर के सब केहू लग जाला उनका देखभाल में.
पकवान बने ला उहे जवन होला सबसे ख़ास.
होखे ना तनको कमी सबकर रहेला इ प्रयास.
काहे की, सुहाग बेटी के उनके से होला आबाद जी.
अतिथि में सबसे श्रेष्ट मानल जालेन दामाद जी.
लोग देला अपना दामाद के खुबे खर-खरिहानी.
की ससुराल में बेटी के ना होखे कौनो परेशानी.
बेटी-दामाद के नाम से ही मन में स्नेह जागेला.
रूठल गईल दामाद के भगवान के रूठल लागेला.
सौप देला जेकरा हाथ में माई-बाप आपन औलाद जी.
अतिथि में सबसे श्रेष्ट मानल जालेन दामाद जी.
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[…] अब लउके न कुछ उ बानी सूरज के घर में, जिनगी हो गईल “नूरैन” अन्हरिया रात के तरह. नूरैन अंसारी के पिछलका रचना […]
Mast ba noorain bhai…
bus yehi lakhan likhat rah…bhagwan ek din tahra ke jaroor kamyab karihen…
Akhilesh Tiwari