– डॉ. कमल किशोर सिंह

एक साल अउर सरक गइल, कुछ छाप आपन छोडि के.
भण्डार भरि के कुछ लोगन के, बहुतो के कमर के तोड़ी के.
प्रकोप परलय के दिखा दुनिया के कुछ झकझोरी के.
आईं बिदाई करीं एकर, दसो नोहवा जोड़ी के,
आ स्वागत करीं नव वर्ष के, सहर्ष बहियाँ खोली के.

नयकी किरण नव वर्ष लावे, कहवों ना छिपल आन्हार हो.
धर्म जाति सब भेद भाव के जन गन मन से बहिस्कार हो.
कोंपल नया सभ स्वस्थ निकले, पुष्पित फलित सब डार हो.
नव नीड़ के निर्माण हो, उजडल के भी उद्धार हो.
दुःख दर्द दुनिया के घटे परस्पर प्रेम के परसार हो.


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By Editor

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