– ओ.पी .अमृतांशु

जीतल मंगरुआ बो मुखिया चुनाव में 
मचल बा हाय खलबली, देखऽ गली -गली.

छाका छोड़ाई दिहलस एमे. बीए पास के 
मुखिया जी खुरुपी ले के चलीं दिहलें घास के
निपट-अनाड़ी भारी उठल बीया गावँ में  
मचल बा हाय खलबली, देखऽ गली –गली.

शोषण के मारी हारी धीरे मुसुकइली
घूँघट के ओटवा के तनी सा हटइली 
चऊकठ के बहरा बाजेला पायल पाँव में
मचल बा हाय खलबली, देखऽ गली –गली.

जुटल पंचाईत आइल केस बलात्कार के
भइल मिजाज गरम मंगरू के नारि के
गइलें आरोपी जेहल मोछवा के ताव में
मचल बा हाय खलबली, देखऽ गली –गली !

नारी पे नाहिं केहू आँखिया उठाई 
दिन -दुखियन  के ना  केहूओ   सताई
अब ना छहईहें ओ.पी झूलनी के छावँ में
मचल बा हाय खलबली, देखऽ गली –गली.

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9 thoughts on “मचल बा हाय खलबली”
  1. गावँ के सतावल -दबावल शोषण के शिकार भइल नारी के चुनाव में खड़ा भइल बहुत बड़हन बात बा .बहुत बढ़िया कविता बा राउर .
    किरण

  2. राउर कविता से हमार गावँ के घटना कुछ -कुछ मिलत-जुलत बा .

    अच्छा बा .

    पूनम

  3. प्रणाम जी

    पढ़ के माजा आ गईल !

  4. नमस्कार संतोष जी ,
    राउर टिपण्णी पढ़नी बड़ी निक भी लागल आ ख़ुशी भी भइल. चली केहू त बा आपन जे रास्ता देखावता.
    धन्यवाद ! भैया.
    राउर
    ओ.पी.अमृतांशु

  5. amritanshuji
    shoshit samaj ke loktantra se milal tagad ke aesas karawat biya aap ke rachna, uppar vidwan bhaee ke pratikriya padla se bhujhat ba,abhu log samajik samarasta ke vishwas naikhe rakhat… lekhani ke dhar aur chokh karee aa shoshit samaj ke jagran kare me sarthak prayas kari.
    santosh

  6. लालू बो के इयाद आवत बा जे हेतना बरिस ले बिहार पर राज कईली आ शोषित समाज के उद्धार भईल.
    आ हमनी के देस पर राजीव बो के राज बा. उनकरे झुलनिया के छाँव मे मे सगरे देस झूलत बा !!
    अब मंगरुआ बो भी आ गईली त जवन बचल बा उहो उद्धार हो जाई.
    यू पी मे …….. बो ( ! ) के पायल बाजत बा.

    पढ़ के माजा आ गईल, अमृतांशु भाई !

  7. तानाशाही समाज को ठेंगा दिखाती नारी का चित्रण बहुत बढ़ियां.
    चित्सा

  8. शोषीत समाज के सतावल लचार,
    लेकिन मजबूत मंगरू बो के,
    चुनाव जीतल तानाशाह लोगन के,
    गाल पे तमाचा मराल बा .
    धन्यवाद !
    रंजित कैरोस

कुछ त कहीं......

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