– लव कान्त सिंह “लव”
फाटल रहे गुदरा-गुदरी
एक्के बेर में सी गइल
मार मुस – पियना के
सब दारु पी गइल ।
दरोगा जी के धाव भइल
गोड़ में उनका घाव भइल
सिपाही के तोन सट गइल
बगली उनकर चट गइल
केतना भागा-भागी कइके
दारु सब जपत भइल
फाटल रहे गुदरा – गुदरी
एक्के बेर में सी गइल
मार मुस – पियना के
सब दारु पी गइल।
जनता के मुँहे जाब लागल
सभे जेन्ने – तेन्ने भागल
नेता जी के भाग जागल
कमाई खूब होखे लागल
पुलिस जेके पोसुआ राखस
घोटाला के उ बड़की राकस
मुंए – मुंए भइल रहे
एक्के बेर में जी गइल
मार मुस – पियना के
सब दारु पी गइल ।।
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