-आसिफ रोहतासवी
(एक)
फेड़न के औकात बताई
कहियो अइसन आन्ही आई.
घामा पर हक इनको बाटे
पियराइल दुबियो हरियाई.
पाँव जरे चाहे तरुवाए
चलहीं से नू राह ओराई.
मोल, चलवले के बा जांगर
रामभरोसे ना फरियाई.
नाहीं कबरी बिन हिलसवले
दिन-पर-दिन आउर जरियाई.
अपना खातिर चउकन्ना बा
तहरा बेर बहिर हो जाई.
माहिर बा चेहरा बदले में
सदियन तक असहीं भरमाई.
हक खातिर अड़ जइहें ‘आसिफ’
धमकाई, मारी, गरियाई.
(दू)
जब ले मितवा मोर भइल बा
दुनिया-राजे सोर भइल बा.
हँसले बा अपना पर अतना
भर-भर आँखिन लोर भइल बा.
हमरे अँगना रैन-बसेरा
उनका सब दिन भोर भइल बा.
ऐनक में खुद के चुचुकारे
घाहिल चिरई-ठोर भइल बा.
जनहित, बस, अस्टंट सियासी
‘सत्ता’ ला गठजोर भइल बा.
‘आसिफ’ के फिकिरे दुबराइल
जब ले आदमखोर भइल बा.
(पाती के अंक 75 से साभार)
आसिफ रोहतासवी के नांव से गजल लिखे वाला डॉ. इन्द्र नारायण सिंह हिंदी आ भोजपुरी साहित्य के एगो सशक्त हस्ताक्षर हईं. वर्तमान में इहाँका पटना साईंस कॉलेज (पटना विश्वविद्यालय) में हिंदी विभागाध्यक्ष बानी.
इहाँ के लिखल अब ले कुल सात गो किताब प्रकाशित बाड़ी स. ‘परास’ (भोजपुरी त्रैमासिक) के संपादन का सङही भोजपुरी अकादमी पत्रिको, (बिहार सरकार) के संपादन से जुड़ल बानी. डॉ. रोहतासवी के भोजपुरी साहित्य में गजल का क्षेत्र में खास पहचान बा.
ई-मेल – sampadakparas@gmail.com