-आसिफ रोहतासवी
अब ना बाँची जान बुझाता बाबूजी
लोग भइल हैवान बुझाता बाबूजी
पढ़ल लिखल हमनी के सब गुरमाटी बा
उनका वेद कुरान बुझाता बाबूजी
आपुस में टंसन बा फिर हमरा गाँवे
खेत जरी, खरिहान बुझाता बाबूजी
बबुआ तऽ अबहींए आँख तरेरऽता
एक दिन बनी महान बुझाता बाबूजी
सटलीं पेवन जतने ओतने छितराइल
जिनगी भइल पुरान बुझाता बाबूजी
हमरा छान्ही पर होरहा भूँजीं आसिफ
राउर का नुकसान बुझाता बाबूजी
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डॉ. आसिफ रोहतासवी हिंदी आ भोजपुरी साहित्य के एगो सशक्त हस्ताक्षर हईं.वर्तमान में इहाँका पटना साईंस कॉलेज(पटना विश्वविद्यालय) में हिंदी विभागाध्यक्ष बानी. इहाँके अब तक कुल सात गो किताब प्रकाशित बाड़ी सऽ. ‘परास’ (भोजपुरी त्रैमासिक) के संपादन का सङही भोजपुरी अकादमी पत्रिका,बिहार सरकार के भी संपादन से जुड़ल बानी. डॉ. रोहतासवी के भोजपुरी साहित्य में गजल का क्षेत्र में खास पहचान बा. इहाँके ई-मेल संपर्क- sampadakparas@gmail.com
-संपादक
आपुस में टंसन बा फिर हमरा गाँवे
खेत जरी, खरिहान बुझाता बाबूजी । बहुत बढिया लाइन।
हमरा छान्ही पर होरहा भूँजीं, ओेकरे डंका हमेशा गउंजी….