– शशि प्रेमदेव
जेकरा पर इलजाम रहल कि गाँछी इहे उजरले बा!
फल का आस में सबसे पहिले ऊहे फाँड़ पसरले बा!
दूर से ऊ अँखियन के एतना रसगर लगल, लुभा गइलीं
हाथ में जब आइल त देखलीं कउवा ठोढ़ रगड़ले बा.
प्यार से बढ़ि के दोसर कवनो ताकत नइखे दुनिया में
तितिली के आन्ही में देखऽ कइसे फूल सम्हरले बा!
अब का बाँचल बा जवना प आँखि गड़वले बा दुनिया
सगरो साध निछावर कइलीं, तब्बो मूँह उतरले बा!
बेरुआब कइलसि धरती के खलसा आदम जात “शशि”
दोसर जीव जनावर एकर कहवाँ कुछु बिगड़ले बा!