Ram Raksha Mishra Vimal

– रामरक्षा मिश्र विमल

जहें नेह लागल दरदिए मिलल बा
कबो फूल कँहवा अङनवा उगल बा ?

कबो लहलहाइल ना बिरवा सपन के
कतनो नयनवा से पानी ढरल बा

कल तक पियावल जे अँजुरी से अमिरित
ओकरे अँजुरिया जहर से भरल बा

केकरा से आशा बिस्वास के पर
गजबे अन्हरिया सगरो जमल बा

पतियो ना लिखलीं विमल एक काहें
रउरा प केकर जादू चलल बा ?

रउरा हँसते बिहान होइ जाला
चान अचके सेयान होइ जाला

मदभरल नैन सपनन में डूबे
आजु गजबे परान होइ जाला

गली गली जइसे फगुआ के पहरा
फूल सगरो जवान होइ जाला

प्रीत के गागर भर भर के छलके
जिंदगी के नहान होइ जाला

रउरा अँखियन में अपना के पाके
मन विमल बेइमान होइ जाला


अँजोरिया पर विमल जी के पुरान रचना
संपर्क ‐
मो. 91+9831649817 email : ramraksha.mishra@yahoo.com

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4 thoughts on “दू गो गजल”
  1. vimal ji
    pranam
    ee adarniya kiran ji ke ee gazal jaldiye uplabdh kara dem.
    bhojpuri jinigi patrika khatir bhi aapan rachana bheji.nihora ba.
    sathe sathe apan address bhi.
    santosh patel
    sampadak: Bhojpuri Jinigi
    RZH/940, Janaki Dwarika Niwas
    Rajnagar-II, Palam Colony, New Delhi-110077
    09868152874

  2. मान्यवर पथिक जी,
    रउरा प्रतिक्रिया में एक सुधी समीक्षक के दर्शन भइल.धन्यवाद.
    -रामरक्षा मिश्र विमल
    मान्यवर पटेल जी,
    रउरा प्रतिक्रिया से सबसे बड़ खुशी भइल कि एगो महान गजलकार स्व. शिव प्रसाद “किरन” जी के जानकारी मिलल.धन्यवाद. भोर, बिहान, अँजोर विधेयात्मक सोच के रचनन में स्वाभाविक रूप से आवेला पारंपरिक प्रतीक ह आ एकर अब तक हजारों प्रयोग भइल होई.हमार आग्रह बा कि भाव-साम्यवाली एह गजल के सभे शेरन के भी प्रस्तुत करीं,खुशी होई.
    -रामरक्षा मिश्र विमल

  3. vimal ji
    raur ee gazal padte hamara bettiah (west champaran) ke mahan gazalkar Late. shiv prasad “kiran” ji ke du go pankti yad aa gail:
    : “raura hans di taa bhor ho jai
    sagro angna ajor ho jai”

    bahut nik, vimal ji bahut nik.sadhuvad
    santosh patel

  4. आदरणीय विमल जी,
    राउर दूनो गजल खूबे नीक लगली स | दूनो अलग अलग मिजाज के बाड़ी स | “कल” के जगह जो “काल्ह” के प्रयोग कइल जाव त अउर नीक रही | आज काल्ह भोजपुरी गजलकार लोग प दुष्यंत कुमार के नशा छवले बा | प्रगतिशील सोच के नाम पर गजल के मासूमियत , रूमानियत आ मधुरता गायब हो रहल बा | अइसे में राउर गजल दुपहरिया के जरल मारल आदिमी खातिर सोराही के पानी नियर लागल | ” रउरा हँसते बिहान होइ जाला / चान अचके सेयान होइ जाला ” शेर के एक बिंब मानके चलला प अनर्थ हो जाई काहें कि बिहान भइला प चाँद ना लउके | एहिजा हँसला के दूनो बिंब बेजोड़ बाड़े स आ बिरोधाभासवाली अर्थछबि लिहल जाउ त सोना में सोहागा | आजु गजबे परान होइ जाला आ गली गली जइसे फगुआ के पहरा बहुत सुन्नर प्रयोग बा |
    –पथिक भोजपुरी

कुछ त कहीं......

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