– डा. कमल किशोर सिंह
हम रटीला रोजे
‘हिपोक्रेटिस’ हृदय में, धरि ‘धनवंतरी’ ध्यान,
हम रटी ला रोजे रोगान शेषान, रोगान शेषान.
छछनावे, तडपावे, फेर दुहि लेला प्राण,
बचल ना केहू – चाहे बच्चा, बुढ़, जवान,
हम रटीला रोजे रोगान शेषान, रोगान शेषान.
डुबल कवनो सूरज होते बिहान,
मध्याह्न में केकरो भइल अवसान,
हम रटीला रोजे रोगान शेषान, रोगान शेषान.
प्रफुल्लप्राय पुष्पन के मिटल मुस्कान,
केकरो समस्त सजल उजडल उद्यान,
हम रटीला रोजे रोगान शेषान,रोगान शेषान .
बिक्रित, बिकलांग, बंचित सुख सम्मान,
कोई बिस्तर पडल बा – मृतक समान .
हम रटीला रोजे रोगान शेषान, रोगान शेषान.
कैंसर, संक्रामक, अनुबंशिक, अनजान,
मिले शीघ्र सभकर सहज समाधान.
हम रटीला रोजे रोगान शेषान, रोगान शेषान.
भौतिक, रसायन, चिकित्सा बिद्वान.
खोजें निरंतर नूतन निदान
हम रटीला रोजे रोगान शेषान, रोगान शेषान.
टीका
सात सूई के तेइस चुभाका,
आ ले ल मुँह में टीका-ठोप,
बाल ना बाँका करी ताहार;
सब संक्रामक रोग प्रकोप.
सभ बिश्व महायुद्धो से भारी,
जन संहार कइलस महामारी.
जब से टीका के डंका बाजल,
जीवाणु दल में भगदड़ माचल.
पोलियो के पस्त पराजित कइलस
चेचक के चिन्ह मेटवलस.
टेटनस के टाँग टूटल कब से,
डिप्थेरिआ के गला दबवलस.
मिजिल्स, मंप्स, रूबेलो के,
कोना में कहीं घुसा देिहलस.
मेनिंजिटिस लगलन माथा ठोके,
हेपेटाइटिसो के हरा दिहलस.
टीबी, एच.आई.भी. ओ से
युद्ध गोरिल्ला जारी बा,
हर संक्रामक जीवाणु प
लागल पहरा भारी बा.
डर कइसन् टीका सूई से,
तनी डरऽ ज्वर बेमारी से .
सब कोई जब टीका लीही,
जग बच जाई महामारी से.
डॉ . कमल किशोर सिंह, रिवरहेड, न्यू यॉर्क, अमेरिका.
बहुत सुन्दर कबिता बाड़ी सऽ। वर्तमान स्वास्थ्य संबन्धी परेसानीन के बढ़िया सबद में परोसले बानी।
मजदार रचना…….बहुत नीक लागल….