– ओम जी ‘प्रकाश’
रंडी, पतुरिआ का उपर फूंकाई!
चोरी क पइसा त चोरी में जाई!!
तिकड़म भिड़ा लिहलऽ, धन त कमा लिहलऽ
मड़ई का जगहा तूँ कोठी उठा लिहलऽ
नोकर आ चाकर से
गाड़ी आ मोटर से
दुअरा प मेला बा
चमचन के रेला बा
बाकिर ना अँखिया में बाटे उँघाई!
चोरी क पइसा त चोरी में जाई!!
भइल जवानी में सई गो बेमारी बा
नीमक से यारी ना चीनी से यारी बा
सूगर दबावेला
बीपी धिरावेला
जेवना परोसल बा
मुसकिल भकोसल बा
रोटी ले बेसी तूँ खालऽ दवाई!
चोरी क पइसा त चोरी में जाई!!
तहरा से लाख गुना नीक बा करीमना
चोकर के लिट्टी, ना भाजी, ना तियना
टमटम चलावता
जाँगर डोलावता
कुंजी ना ताला बा
ठनठन गोपाला बा
का केहू ओकर ले जाई, चोराई!
चोरी क पइसा त चोरी में जाई!!
ओम जी प्रकाश,
जूनियर टीचर
गवर्नमेण्ट मिडिल स्कूल,
मेबो, वाया पासी घाट,
ईस्ट सियांग,
अरुणाचल प्रदेश.
मोबाइल ०९६१२१०४८८९
OM JI RACHNA BADI NIK VASTAVIKTA SE PARIPURN BAA.RAUAA SONCH BADI NIK BAA.
बहुते-बहुत सुन्नर कविता खातिर बहुत-बहुत बधाई।।
बहुत सुन्दर बा रचना राउर ओम जी भाई ..