– डॉ.कमल किशोर सिंह
देखलऽ कइसन सपनवा, बाबा बोलऽ ना
पूछेला जहनवा सब बच्चा बुढ जवनवा
बाबा बोलऽ ना…….
देखलऽ कइसन सपनवा, बाबा बोलऽ ना.
मौन काहे बाड़ऽ, काहे कइलऽ अनसनवा,
बोलऽ कइसे होई तहार मनसा पुरनवा
बाबा बोल ना …..
राम बन घुमत बाड़ें सगरो रावनवा,
कइसे पूरा होई तहार रामराज सपनवा
बाबा बोल ना……
सिलकन बनियाइन उपर खादी परिधनावा,
सदाचारी, भ्रष्टाचारी कवन पहचनवा
बाबा बोल ना ……..
होता धरम धन जाति बल पे मतदनवा
भकठल सरकार बा कि जन-गन-मनवा
बाबा बोल ना ……..
धरे कोई बाहर कोई धरे सिरहनवा,
के करऽता खाली-खोंखड़ देस क खजनवा
बाबा बोल ना …….
अइसन बेमारी के बा कइसन निदनवा
मिठकी दवाई आ कि उचित ओपरेसनवा,
बाबा बोल ना…..
देखलऽ कइसन सपनवा, बाबा बोलऽ ना
– डॉ.कमल किशोर सिंह, रिवरहेड, न्यू योर्क, अमेरिका