– हरीन्द्र ‘हिमकर’

बिहंसs दुल्हिन दिया जरावs
कुच -कुच रात अन्हरिया हे। नेहिया के बाती उसकावs
बिहंसो गांव नगरिया हे।

तन के दिअरी,धन के दिअरी,
मन से पुलक-उजास भरs
गहन अन्हरिया परे पराई
जन -जन में विश्वास भरs
हिय के जोत जगावs सगरो
फाटो बादल करिया हे।

अमर जोत फइलावs दुल्हिन
अमरित दिअरी में ढारs
झुग्गी, महल, अटारी चमके
समता के दिअरी बारs
जमकल जहां अन्हरिया बाटे
उहंवे कर अंजोरिया हे।

अंचरा में मत जोत लुकावs
दुलहिन जोत लुटावs तू
कन-कन में फइलो उजियारा
सुख सगरो पसरावs तू
घर -घर दीप जरी मन हुलसी
जग-मग करी बहुरिया हे।


हरीन्द्र ‘हिमकर’
रक्सौल

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कुछ त कहीं......

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