माई अब जोखाए लगली

by | Sep 22, 2016 | 3 comments

– रश्मि प्रियदर्शिनी

Rashmi PriyadarshinI

अँगना-दुअरा एक कs देवेले

लोग कहेला

माई के गोड़िया में

चकरघिन्नी बा

दुअरा के बंगली से

अँगना के रसोई तक

चलत रहेले

चलत रहेले

 

परिकरम करे जवन धरती आकास

एक दिन उहे गोड़वा

टेटाए लागल

माई के उमरिया

बुझाए लागल

 

दवाई खूब भइल गाँव में

बाकिर फायदा ना बुझाइल

छोटकू सहर में रहलन

उनका हिस्सा में

माई के इलाज आइल

सहर पहुँचते

डाक्टर बी पी आ वजन देखलन

छोटकुओ याद रखलन

कि माई

कौ किलो के आइल बाड़ी

 

सहरी इलाज के, फायदा बुझाइल

सूखल गोड़

कुछ हरियाइल

माई फेरु जोखाइल

 

माई फेरु जोखाइल

समाचार पहुँचल सगरो

माई बढ़ गइल, चार किलो

छोटकू खबर कइलन

बड़कुओ के

माई में हमार लागल बा

चार किलो

 

बड़कू तनतनइलन

छोटकू मुसकइलन

 

गाँवे पहुँचला पर

माई फेरु जोखाइल

बडकू कहलन

जेतना भेजले रहनी

ओतने बिया माई

कइसन चार किलो ?

 

दुअरा से बाबूजी कहनी

माइयो जोखाये लगली

माई अब जोखाए लगली

माई अब जोखाए लगली

————————–

(रश्मि प्रियदर्शिनी माने भोजपुरी कविता में एगो युवा हस्ताक्षर. साहित्य से पत्रकारिता आ अभिनय तक सक्रिय पहचान. फिलहाल दिल्ली में. प्रस्तुत बा आम आदमी के मन के झकझोरेवाला इहाँके एगो समकालीन कविता.- संपादक)

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3 Comments

  1. राज कुमार अनुरागी

    जबरदस्त आ दिल के झकझोर देवे वाला कविता , रश्मि जी के बहुत बहुत बधाई .

  2. Uday narayan singh

    माने के पडी कविता के वजन के।सहज शब्दन आ भाव ले के भी कविता आपन कथ्य के बहाने सामाजिक विद्रूपता आ वर्तमान अवस्था पर अच्छा चोट करतिया।बधाई रश्मि जी -छोट कविता से बडहन बात कहे के राउर कला के नमन।
    उदय-नारायण सिंह,छपरा

  3. रामरक्षा मिश्र विमल

    बहुत नीमन कविता। गजब। आज परिवारो में प्रेम पर अहं भाव हावी होत जा रहल बा। ई चिंता एतना कोमल रूप में। वाह!
    दिल के छू गइल।

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(1)


18 जून 2023
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सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया


(4)

18 जुलाई 2023
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सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(5)

5 अगस्त 2023
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सहयोग राशि - पाँच सौ एक रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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