– ओमप्रकाश अमृतांशु
हम बच्चा दिल के सच्चा
आईऽ गइलीं शरण में .
हे ! विद्या के भंडारिणी ,
द नव कृपा कृपालिनी ,
बुद्धि – सद्बुद्धि कर द हमरो ,
हे माँ ! वीणावादिनी .
तू दानी हे! वरदानी
आईऽ गइलीं शरण में .
हमहूँ ज्ञानी बन पाईं,
निरबल से सबल हो जाईं,
बन जाईं विश्व विजेता ,
संकट में न घबराईं,
तन – मन के अर्पित कईलीं
आईऽ गइलीं शरण में .
ओमप्रकाश अमृतांशु युवा चित्रकार आ भोजपुरी गीतकार हऊवन. इनकर सृजित कलाकृतियन के देश में आयोजित होखे वाला अखिल भारतीय चित्र -प्रदर्शनियन में नई दिल्ली ,वराणसी, जोरहट , धनबाद, पटना,आरा आदि शहरन में देखावल जा चुकल बा. राज्य – स्तरीय चित्र प्रदर्शनी, आरा के आयोजन समिति के सदस्यो रहल बाड़े आ. दर्जनों नुक्कड़ चित्र –प्रदर्शनियों में भागीदारी आ एकरा अलावे देश के प्रतिष्ठित पत्र –पत्रिका में रेखांकन प्रकाशित हो चुकल बा.
इनकर लिखल गीत भोजपुरी गायिका देवी आ पूजा गौतम अपना स्वर से सजा चुकल बाड़ी. साथही मशहुर चित्रकार भुवनेस्वर भास्कर के बहुचर्चित परफार्म “परिणति ” के गीत- लेखनो में सहयोगी रहल बाड़े.
सुन्दर अतिसुन्दर वंदना .
बहुत -बहुत नीमन लागल सरस्वती वंदना .
बहुत -बहुत धन्यवाद पाण्डेय जी .
हमहूँ ज्ञानी बन पाईं,
निरबल से सबल हो जाईं,
बन जाईं विश्व विजेता ,
संकट में न घबराईं,
तन – मन के अर्पित कईलीं
आईऽ गइलीं शरण में .
माई भगवती के सादर नमन अउर अमृताशु भाई जी के सादर आभार..बहुते सुन्नर तरीका से माई के आराधना करे खातिर..उहाँ से कल्याण करे खातिर।। आभार।।