– डाॅ. अशोक द्विवेदी

AKDwivedi-Paati

अनेकता मे एकता क उद्घोष करे वाला हमन के महान देश इहाँ क रहनिहार हर नागरिक के हऽ; बाकिर अइसनो ना कि देश के हेठे दबाइ के सबकर अपने आजादी परमुख हो जाय. पहिले राजा जवन मरजी होखे करे बदे सुतंत्र आ निरकुश रहे बाकि अब, लोगन के चुनल -बनावल “ओहदेदार” अपना निज के महत्वाकांक्षा आ तुष्टि खातिर लोगन के भेंड़ा बना के इस्तेमाल करे लागी त बतबढ़ ढेर आगा बढ़ जाई. ई कइसन आजादी कि “मोगैम्बो” के खुश करे खातिर लोग ओकर ‘कारपेट’ बन जाय ? हमहन क कइसन मानसिक गुलामी कि आपन नेता भइला का नाते ओकरा आगा पाछा पोछ डोलाईं आ ओकरा अनेत के आड़ छाँह देईं जा ?

स्वच्छ राजनीति का नाँव प’ “नया आ अनोखा” करे निकलल जब अपना महत्वाकांक्षा आ खुशामद पसन्दी में सीमा लाँघे लागल त का कइल जाव ? हाय रे अधोगति, आज देश के स्वतंत्रता का महापरब पर “भारत /इन्डिया,”, “जयहिन्द” का बजाय अपने नाँव “अरविन्द केजरीवाल”; ऊहो स्कूल का छोट लड़िकन के ऊजर, लाल ड्रेस पहिरा के शब्द का रूप में बइठा के; आजादी खातिर मर मिटे वालन का जगहा अपने के महिमामंडित कइल जाता.

काल्हु महामहिम राष्ट्रपतिजी हमनी के आ देश खातिर प्राण निछावर करे वाला सैनिकन क अभिनंदन क के कहलन कि हमन के अपना मानवी मूल्य आ विरासत बचावे क कोसिस करे के चाही. कहलन कि, “जवन देश अपना अतीत के मूल्य आ आदर्श भुला जाला ऊ अपना भविष्यो क खासियत गँवा देला. आज तमाशा देखी़ं. आज खबर मिलल कि हमनी का प्रदेश मे़ कानपुर में कवनो लड़की के छेड़खानी करत मनचल/मनबढ़ुवन के रोकला पर, फर्ज निभावे वाला फौजी के पीट पीट के हत्या कर दिहल गइल. लोग कह सकेला कि अगर मोगैम्बो आजादी के अपना पक्ष में इस्तेमाल कर सकेला त मनबढ़ लइका काहे ना ? बाकिर ए दूनो घटनन से हमहन क मूल्यन क गिरावट आ पतनशीलता नइखे उजागर होत का ? राजधरम, लोक धरम आ मानव धरम सब सँगही चलेला. यथा राजा तथा प्रजा. आज एह हालत में के केकर अनुसरन करत बा ? साँच त ईहे बा कि हमन के आजादी त मिल गइल बाकि मानसिक गुलामी ना गइल. पोंछ डोलावल जब सोभाव बन जाला त नीक जबून ना बुझाला. आजादी मिलल ,अधिकार मिलल बाकि ओकर इस्तेमाल करे क लूर सहूर ना आइल.

अगर शक्ति आ सत्ताकेन्द्रित राजनीति भइल त ओकर फायदा उठावे वाला जमातो बढ़ल. स्वछंदता करे खातिर सरक्षन मिलल; बाकि एकर तिरस्कार आ बहिस्कार कइला का साथ साथ हमनियो के ई ठीक से रट लेबे के चाहीं कि स्वतंत्रता क माने स्वछंद भइल ना ह, आ आजादी क मतलब अराजकता त कत्तई ना हऽ.

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कुछ त कहीं......

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