भउजी हो !

आँय ! बबुआ ? रउआ आ गइनी ? रउआ त बराते गइल रहनी ?

बराते थोड़े गइल रहुवीं ? अबहीं त बरात के तइयारिए के चरचा होखत बा. बरात केकरा किहाँ से निकली, के दुलहा बनी, के सोहबल्ला ? ई त पहिले तय हो जाव. अगुआ के बनी, केकरा के मानल जाई, ईहो त तय नइखे अबहीं.

त केकरा बोलहटा पर जुटान भइल रहुवे ? ओकरे नू अगुआ माने के चाहीं.

से त ठीक कहत बाड़ू भउजी, उहो त इहे मने-मन गाजत रहुवन. बाकिर उनुका के केहू भावे ना दीहल.

त का तय भइल एह जुटान में ?

इहे कि एक बेर फेरु बइठल जाव. अगिला महीना त गरमी परवान पर रही, से शिमला में बइठका करे के तय भइल.

चलीं, बढ़िएं बा. एही बहाने सभे प्रियंका गाँधी के महलो देख आई.

तुहूँ का खुरपी का बिआह में हँसुआ के चरचा ले बइठलू. अरे दिल्ली में रहते लोग केजरीवाल के शीश महल देख लीहल का ? देखावे वाला देखावे के राजी होखे तब नू.

त शिमला में का होखे वाला बा ?

इहे कि अब त पाँच जगहा चुनाव होखे वाला बा. ओकरा हगबग में ठीक से आइल-गइल ना हो पाई. आ जब ले ओकरा से फुरसता मिल जाई तब ले खरमास आ जाई. से अगिला बइठका खरमास का बाद कहीं करे के तय कर लीहल जाई.

कहे के मतलब तबले लड़िका दुलहो बने ला राजी हो जाई.

इहे त मुसीबत बा भउजी. केहू ओह लड़िका का दुलहा माने ला तइयार नइखे. सुनले नइखू – अइसन बउरहवा बर से गउरा ना बिअहबो, भले गउरा रही जासु कुँआर !

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By Editor

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