– जयंती पांडेय
हमनी के जीवन से कई गो बात सटल बा जेपर आदमी के आपन कवनो हक नइखे। जइसे आपन पड़ोसी, आपन माई बाप आ आपन नांव। ई बस हो जाला एकर चुनाव ना कइल जा सके। लेकिन आज के दुनिया में पहिलका दू गो बात त आपके अधिकार में नइखे लेकिन नांव पर अब हक बा। भदेस नांव बा त दन दे बदल दऽ। अखबारन में त नांव बदले के एगो कालमे खुल गइल बा। लेकिन एहु में एगो बड़ा आश्चर्यजनक बात बा कि नांव बदले वाला 98 प्रतिशत लोग मर्द ह, मेहरारू नांव बदलबे ना करऽ सन। मेहरारू नांव काहे ना बदलऽ सन ई एगो रिसर्च के विषय बा। नांव बदले में हमनी के नेतो लोग पीछे नइखे। उनकर नांव मशहूर हो गइल बा त लोग आपन नांव नइखे बदलत आ ई गोस्सा शहरन पर उतारऽता। अब देखऽ बम्बई के नांव मुम्बई हो गइल आ मद्रास चेन्नई हो गइल, बंगलोर पर तो रोज विवाद होला कि बंगलूर हऽ कि बंगलुरू। बंगाल बंगो हो गइल। अब देखऽ कि बंगाल के बाहर बंगाली डाक्टर बंगो डाक्टर हो जहिए सन आ बंगाली रसगुल्ला बंगो रसगुल्ला कहाए लागी आ बंगाल के जादू बंगो जादू हो जाई। अब कोलकाता जा त नया हरानी। ममता दीदी जब रेलमंत्री भइली त इहवां के मय मेट्रो रेल के स्टेशनन क नांव बदल दिहली। अब नांव हो गई उत्तम कुमार आ मास्टर दा वगैरह-वगैरह। एक इओर लोग दनादन नांव बदलऽता दोसरका इओर केहू के नांवे नइखे मिलत कि नाती पोता के का नांव दी। अरे दू चार शहर के टेलीफोन डायरेक्टरी मंगवा लेतऽ त बात बनि जाइत। कई बेर ढेर प्रचारित नावो से बड़हन प्राबलम हो जाला। अबहीं अण्णा के नांव चलल बा। कई गो मेहरारू अपना बेटन के नांव अण्णा ध दिहले बाड़ी सन। अब आगे जा के कवनो लइकी अण्णा से कइसे बियाह करी? काहे कि अण्णा के माने होला भइया। इहे ना नांव के ले के कई गो आउर प्राबलम बा। जइसे अलगू राम के बेटी सीता राम आ मनमोहन कृष्ण के बेटी राधा कृष्ण। अब ई नांव के कई गो मुस्टंडा मरद हमनी के गांव जेवार में भेंटा जाई आ उहे भके जे ई लोगन के ध लिहल त बीच बजार में जूता परे.
जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.