– जयंती पांडेय

अगस्त के पहिलका हफ्ता बीतत रहे. आजादी के ६४वाँ जलसा में खाली एक हफ्ता बाकी रहे. एह में बाबा लस्टमानंद के एक दिन रात में सपना में गाँधी बाबा भेंटा गइले.एगो गाछ के नीचे बइठल रहले, आँखि भारी लागत रहे, लीलार पर चिंता के निसानी रेखा उभर आइल रहे. लस्टमानंद बाबा के गोड़ लगले आ लगे बईठके पूछले, बाबा एह रूप इहवां कइसे ? थाकल लागऽतानी. राजघाट त्याग के एहिजा कइसे आ गइनी ?

गाँधी जी बड़ा दुखी हो के कहले, का बतायीं, हम त परेसान हो गइल बानी. राजघाट में चैन नइखे लेबे देत लोग, कवनों बात होखे चली आवऽता लोग आंदोलन सत्याग्रह करे. रातदिन बाजा बाजत रहऽता.

लस्टमानंद कहले, बाबा ई रस्तवा त तूंहीं देखऽवलऽ, अब काहे रोवऽतारऽ ? गाँधी जी कहले, अरे हम त आंदोलन के रस्ता देखवनी, ई त ना कहनी कि हर बात पर आंदोलन करऽ लोगिन. अब देखऽ अबही कुछ दिन पहिले एगो राजनीतिक दल के नेता लोग ओहिजा बकायदे मजमा लगा दीहल लोग. बाजा बाजल, नाच गाना भइल. ऊ लोग के का कहीं कि हमरे समाधि के सामने खड़ा हो के जालियांवाला बाग के गलत उदाहरण देत रहले. अब आजादी के ६५ साल पर एगो बाबा हमरे नांव लेके अनशन करे जातारे.

लस्टमानंद कहले, बाबा ई अनशनों त तहरे बतावल ह. गाँधी जी लजाइल हँसी हँसि के कहले कि हम का जानी कि एकरा नाम पर इहे सब होई. सबेरे लोग जम के जलपान क कर आवे ला लोग आ दुपहरिया ले अनशन पर बइठ जाला लोग आ आफ्टरनून में जा के लंच करेला लोग आ प्रेस के सामने दारू परोस के अनशनकारी में आपन नांव छपवा देला लोग. कई लोग आवे ला आ टीवी में चेहरा देखा के आ अखबार वाला फोटोग्राफर बंधू लोग से फोटो खिंचवा के सरक जाला लोग. ई त सनद रहबे करेला कि अनशन करे वाला लोग में उहो रहले. अब का चाहीं. गाँधी जी अपना धोती के फुरहुरा से मुँह पर के पसेना पोंछले. बोलले जे लोग हमार भजन के बोल ना जाने उहो हमरा नांव पर सत्याग्रह करऽता.

लस्टमानंद पूछले कि आजु हर नेता अपना के भगत बतावत बा. इहां तक कि जे कबो आपके नांवो से दूर रहत रहे उहो अपना के गाँधी भगत बतावत बा. सब लोगे गाँधी बने के चाहऽता.

बापू सकुचइले आ कहले, गाँधी काहे उनुका से आगा बढ़े लोग.

लस्टमानंद पूछले, अपना जीवन भर आप त प्रार्थना करत रहि गइनीं लेकिन भगवान से भेंट ना भइल. आजु मान लीं कि भगवान भेंटा जासु त का माँगऽब ? गाँधी बड़ा दुखी हो के कहले कि, कहब हे प्रभू हमरा के ई नवका गाँधी भगत लोग से बचाईं.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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