– अशोक मिश्र

भोरे हम अखबार पढ़े में डूबल रहली तबहिये सुपुत्र चिंटू सवाल दगलसि, ‘पापा! अच्छा ई बताईं कि लोग करोड़पति कइसे बन जाला ? चुनाव जीते से पहिले ले कुछ हजार भा लाख रुपिया के औकात राखे वाला विधायक, सांसद, मंत्री अइसन कवना मंतर के जाप करेला कि ऊ देखते देखत करोड़पति बनि जाला. एह लोग का घर में पइसा के कवनो फेंड़ उग आवेला का ?’

अखबार एक ओर धरत हम कहनी, ‘बेटा! मनरेगा एह लोग के करोड़पति बनावेले.’ हमरा जवाब से चिंटू संतुष्ट ना भइल. बोलल, ‘बाकिर पापा…अपना पड़ोस में रहे वाला मुसद्दीलाल अंकलो त मनरेगा कार्ड होल्डर हउवन, लेकिन ऊ त करोड़पति ना बनले ?’ हम उदासीन संप्रदाय के धर्मोपदेशक का तरह कहनी, ‘बेटा, ई बाति हम नइखीं कहत, सरकार अउर सरकारी आंकड़ा कहऽता. अब देखऽ न! आजुए का अखबार में एगो सरकारी विज्ञापन छपल बा, एकरा मुताबिक कवनो सुनील कुमार, जे पहिले बेरोजगार रहले, मनरेगा में कंप्यूटर आपरेटर बनते करोड़पति बन गइलन.’

‘त फेर मुसद्दीलाल अंकल काहे करोड़पति ना बनले ?’ बेटा कारण जाने खातिर पूरा अकुताइल रहुवे, ‘आ फेर अफसर-वफसर, सांसद-विधायक, मंत्री-संतरी कइसे करोड़न में खेले लागेले ?’

‘तोहार मुसद्दीलाल अंकल मेहनत ना कइले होइहें. बिना मेहनत कइले एह दुनिया में कुछउ ना मिल पावे. अबही तू जवना लोग के बात करत रहुवऽ, ऊ लोग कतना मेहनत करेला, जानेलऽ ? पहिले मनरेगा में आपन नाम रजिस्टर पर चढ़वावेले, कार्ड होल्डर बनेले आ फेर जमीन खोदेले. गर्मी होखो, बरसात होखो भा कड़ाका के जाड़ा, हानि-लाभ के परवाह कइला बिना लगातार काम में लागल रहेला लोग. एह लोग के जब जमीन खोदे के मौका मिलेला त ई लोग ई ना देखे कि जमीन कहवाँ के ह ? उत्तर प्रदेश के कि महाराष्ट्र के. बंगाल के कि केरल के. एकदम साधु भाव से जमीन खोदत रहेला लोग. एह लोग के कबो भाषा, प्रांत भा जाति का नाम पर लड़त देखले बाड़ऽ ? एह लोग के मात्र एके निशाना रहे ला कि केहु तरह करोड़पति बने के बा. इनकर आंख अर्जुन का तरह भठियरपन के कड़ाही पर टांगल मछरी पर टिकल रहेला. भलही ओकरा खातिर कतनो मेहनत करे के पड़ो. ई लोग मेहनत करे से कबहियो पाछा ना भागे.’ हम अपना कुलदीपक चिंटू के समुझावत रहीं.

‘बाकिर लोग के त लड़इबे करेला ई लोग ?’ चिंटू के अगिला सवाल रहे.

हम बेटा के समुझइनी, ‘बेटा! ई लोग आपन कमाई बढ़ावे में अतना तल्लीन रहेला क इनका फालतू बात सोचे भा करे के मौके ना मिले. अच्छा मान लऽ कि अपना मेहनत अउर लगन से करोड़पति बने वाला ई लोग केहु से कहे कि आपस में लड़ऽ, त का एहमें ओह लोग के कवनो दोष बा ? ई त लोग के आपन नासमझी आ बेवकूफी बा कि ऊ लोग दोसरा केहु का कहला पर लड़ पड़ेला.’ हमरा बुझाइल कि हमार बाति बेटा समुझे लागल बा. हम अपना बाति के बढ़िया से समुझावे का इरादा से कहनी, ‘जेलोग मंत्रियन, सांसदन, विधायकन,अधिकारियन, क्लर्कन अउर चपरासियन के करोड़पति-अरबपति बने पर चिढ़ेले, कुढ़ेले भा हो-हल्ला मचावेले, ऊ या त नादान हउवें भा काहिल आ कामचोर. लूट-खसोट, भ्रठियरपन जइसन बाति उहे करेला जे अपने कुछ ना करि सके. अइसन लोग अपना परिवारे पर ना, देशो-प्रदेश पर बोझ होला. अरे, जवन आदमी एगो छोटहन भठियरपन ना कर सके, ऊ का खाक समाजसेवा करी. जे करोड़पति भा अरबपति होई, उहे नू केहु के दस-बीस हजार भा लाख के मदद कर पाई. जेकरा लगे फाटल गुदड़ी होई, ऊ का खाक केहु के सुख दे पाई. एहीसे बेटा ! खूब पढ़ऽ भा मत, बाकिर मनरेगा कार्ड होल्डर बनके सुनील कुमार जइसन करोड़पति बन जा, हमार आ तोहरा मम्मी के इहे मनसा बा.’ बेटा चिंटू हमार गोड़ छू के कहलसि, ‘पापा! राउर आशीर्वाद आ मार्गदर्शन मिलत रहल, त ई मनरेगा एक ना एक दिन जरूरे हमरा के करोड़पति बना दी.’


संपर्क सूत्र –
अशोक मिश्र,
द्वारा, श्रीमती शशि श्रीवास्तव,

५०७, ब्लक सी, सेक्टर ६
आगरा विकास प्राधिकरण कालोनी,
सिकन्दरा, आगरा

Ph. 09235612878
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