भउजी हो!
का बबुआ?
बजट पर तोहार राय का बा?
लंगटा पहिरी का आ बिछाई का? ए बबुआ हमार त मतिए हेराइल बा घर चलावे में. पता ना लोग कइसे पूरा देश के बजट बना लेला हमरा से एगो परिवारे के बजट नइखे बनत. जवन रुपिया राउर भईया देबे लें घर चलावे ला ओकरा से घर कइसे चलत बा हमही जानत बानी. आ मुअना मजाक करत बा कि विदेश से आवे वाली मेहरारू अपना साथे एक लाख के गहना बिना ड्यूटी दिहले ले आ सकेली. तनी पूछीं ना कि तीस तैंतीस ग्राम के गहना केहू ले के चलिए आई त कवन पहाड़ तूड़ ली.
बाकिर भउजी सुनत रहीं कि अबकी के बजट मनमोहन सरकार के आखिरी बजट ह आ हो सकेला कि चुनावी बजट होखे.
ए बबुआ, बजटवा त चुनाविए बनवले बाड़न चिदम्बरम. मोदी के धिरा दिहले बाड़न कि देखऽ देश के कइसन हाल कर दिहले बानी. अइलऽ त बूझीहऽ तोहरे कपारे पड़ी सगरी बोझा.
वाह भउजी एह दिसाईं त हम सोचले ना रहीं.
सोचब कइसे? याद बा कतना दिन बाद आइल बानी भउजी से भेंट करे.
से त ठीक बा भउजी. गैस बा नू बाचल कोटा वाला. चलऽ एक कप चाये पिया द.
चाये काहे. बइठीं तले हरियरका चना भूँज ले आवत बानी.