इहवां गड़हा आ भ्रष्टाचार के कमी नइखे

by | May 24, 2011 | 0 comments

– जयंती पांडेय

बाबा लस्टमानंद अपना मड़ई में शांति से बइठल रहले कि रामचेला आ धमकले. उनुका के देखते बाबा कहले, “हो ई दुपहरिया में केने चलल बाड़ऽ?”

रामचेला कहले, “महँगू के धियवा के बिआह बा, चलऽ चार गो गाड़ी बान्हे के बा. जोर के लगन बा आ गाड़ी मिलते नइखे. बेचारा महँगुआ फिफिआइल चलत बा. थाना दरोगा जी के फोन कइले रहीं त कहले कि आवऽ बात करवा देतानी. तहरो के पूछत रहले.”

बाबा कुरता पहिरले आ संगे चल दिहले. अबही सड़क पर ठीक से गोड़ धइलहू ना रहले कि ऊँचाखाला पड़ गइल आ गिरत गिरत बचले. बाबा कहले, “आजु काल्हु जब घर से बाहर निकले के होला त मन डेरा जाला. आँख का आगा “सावधानी हटल कि दुर्घटना घटल” वाला बोर्ड घुमि जाला. घर के सामने वाला सड़क बुझाला कि मुँह रिगावऽता. ऊ सड़क कबहु ना सुधरल. कबो बिजली लगावे का बहाने त कबो सड़क मरम्मत के नाँव पर, त कबहुं पानी निकाले खातिर. सड़क में गड़हा परमानेंट बनल रहेला. लोग कहेला कि सड़क पर चलत आदमी के पटा लिहल आसान ह बाकिर हमरा घर का सामने वाला सड़क कबहुँ ना पाटल. पाटो त कइसे ? कबहुं ठीकेदार आ मुखिया में ना पटे, त कबो जिला परिषद के चेयरमैन आ इंजीनियर में पटरी ना बइठे. अगर एकनी में पटरी बइठियो गइल त सड़किये अपना मन से बइठ जाले. एही से आजु काल्हु सड़क पर गड़हे गड़हा मिलेला. लेकिन जानि जा रामचेला कि विकास खातिर जेतना जरुरी भ्रष्टाचार ह ओतने जरुरी गड़हा ह. अगर खाल ना होखो त ऊँच बुझाई. अगर भ्रष्टाचार ना होईत त जमाखोरी ना होईत आ जमाखोरी ना होईत त पइसा के मोल का ? दाल पाँच रोपिया किलो बिका जाईत, देसी घी दस रुपिया किलो मिले लागीत. हम उहे खात रहतीं आ दाँत चियारत रहतीं. अब बुझाता कि पइसा का कहाला. जेकरा लगे नइखे ऊ बेइज्जति सहऽता आ जेकरा लगे बा ऊ मजा उड़ावऽता. सबके लगे कोठी कोठा नइखे. आजाद भारत में दैनिक जीवन में भ्रष्टाचार आ सड़क के गड़हा बेतहासा बढ़ल बा. सरकार कंफ्यूज्ड बिया कि गड़हा बेसी बा कि भ्रष्टाचार. दूनो में बराबर के टक्कर बा.”

अबही बाबा सम्हरते कि एगो गड़हा में खाले गोड़ डाल के रामचेला गिरले आ उनुका के उठावे का फेर में बाबो फेर गिर पड़ले.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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