– जयंती पांडेय
नया साल गइले एकहू हफ्ता ना गुजरल अबहीं ले. बाबा लस्टमानंद कहले कि जान जा रामचेला जबसे होस परेला तबसे हम एह दिन के मार बधाई दे दे के गजा जानी. रामचेला टोकले बाबा अइसन बात मत बोलऽ कि आझु काल के भोजपुरी बोले वाला लइको लोग हो सकेला कि गजाइल ना बूझे. त दसो नोह जोरि के कहऽब कि ऊ लोग बतकुच्चन महराज से बात क लेउ. एह सब टिपिकल शब्दन के उहे जनता जनार्दन के बुझा सकेले. हँ त कहऽत रहनी हं कि नया साल के बधाई देत देत आ लेत लेत लस्टमानंद हार जात रहले. ई खाली बाबा के कहानी ना ह सब लोगे के ह. लेकिन बधाई बटोरे वाला हजारों मरद मेहरारू के बारे में लस्टमानंद के कहल ह कि एह में से केहु के जनवरी के 15 दिन चैन से ना बीतल होखो. सात जनवरी के बाबा एगो जमीन लिखवले. 32 इंची के छाती फूल के 40 इंची के हो गइल. लेकिन तिसरके दिने मंझली पतोहिया माल मत्ता समेट के चल गइल नइहर आ ओहिजा जा के केस करले के धमकी देवे लागल. दूनू इयोर से पंच बिटोराइल लोग आ 25 लाख में मामला सेटल भइल. दूनु इयोर से दांत चियारल गइल. नया साल के मंगल होखला के बधाई दिहल आ लिहल गइल. सबसे बड़हन बात ह कि एतना सब क बादो आदमी जियऽता. केहु लाख बधाई देउ लेकिन जीवन ओतने कठिन बा जेतना कि बधाई मिलऽता. जेतने आदमी कद में आ पद में बड़ होत जाला ओतने झंझट बढ़त जाला. एकरा से निमन त ऊ दिन रहे जब लइकिन से मारामारी करीं सन बगइचा में. अब त बगइचे कटि गइल आ मारा मारी करे खातिर रोड आ मैदान हो गइल.
जनवरी के पहिला दिने सूरज भगवान लेट से उठले. बाबा लस्टमानंद एगो बड़हन पुलिस अधिकारी के मैसेज भेजले नया साल के बधाई धऽ लीं आ देखब कहीं कवनो नारेबाजी प्रदर्शन त नइखे होत. पुलिस अधिकारी बूझलस कि कहीं ई बुढ़ऊ व्यंग्य त नइखन करऽत. बस फोन क के अस झराई झरलस कि जान जाईं दोसरका पुलिस वाला के मैसेज भेजे के साहस ना परल. टेलीविजन वाला रवीश कुमार जी के मैसेज भेज के पूछले कि, भाई हो होत बिहाने समाचार पकावल सुरु करे ल लोगिन कि सांझ ले बेचारे श्रोता लोग पाक जाला. उहो खिसिया गइले. सांझ ले हाल ई हो गइल कि आपन मैसेज ऊ जंतर मंतर से ले के अपना गांव के ब्रहम बाबा के नीचे चिराग जरावे वालन के मैसेज दिहले आ गारी सुन के चुपा गइले. सूरज डूबि गइले आ रात में जोन्हीं उग के लगली सन सान मटकी चला के बाबा के हंसी उड़ावे. बाबा कमरा में मुंह लुकुवा के सुत गइले.
जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.