– ओ. पी. सिंह

पिछला दिने मूडी कुछ लोग के मूड बिगाड़ दिहलसि. कहलसि का, से सभे अपना-अपना मूड से समुझल. मियाँ बूझले पियाज त मियाइन बूझली अदरख. जेकरा शास्त्र के अर्थ ना बुझाव उहो अर्थशास्त्री बनि के बहस करे लागल. मूडी से कुछ लोग के मूड बिगड़ल त ऊ लोग पुअर का स्टैण्डर्ड पर आपन तर्क जोड़े लागल. काहे कि स्टैण्डर्ड एण्ड पुअर का नजर में भारत के हालात पहिलहीं जस बनल बा. हिन्दुस्तान आ हिन्दुवन के विरोध करे वालन के चहबो इहे करी कि भारत के स्टैण्डर्ड पुअरे बनल रहो. साठ बरीस ले सरकार चला के आपन फितरत देखावे वाला लोग के मंजूर नइखे कि हिन्दुस्तान के हालात में बदलाव होखो. ऊ लोग घुमा-फिरा के एके बाति प अड़ल बा कि हिन्दुस्ताल के हालात बदतर भइल जात बा आ ओह लोग के नाराजगी एह पर बेसी बा कि एह काम में माहिर रहला का बावजूद देश के जनता उनुका के पूछत नइखे. जे लोग भगवान राम के काल्पनिक चरित्र बतावत रहुवे से अब मन्दिरे-मन्दिर घंटा बजवले चलत बा काहें कि लोग ओह लोग के घंटा बजा दिहले बावे.
बाकिर एक बाति त मानही के पड़ी कि पिछला दौर में ऊ लोग अइसन-अइसन विषबेल लगा गइल बा जवन अबहियो फरत -फुलात बाड़ी सँ. मीडिया आ न्यायपालिका के हिन्दु विरोधी रुख त रहबे कइल अब एनजीटी सम्हार लिहले बावे हिन्दुत्व संहार के जिम्मा. अब एनजीटी ई तय करी कि एक दिन में कतना हिन्दु माता वैष्णवी देवी के दर्शन कर सकीहें. ओकरा सीमा से एको आदमी बेसी भइल त ओह लोग के रोक लीहल जाई. जइसे कि दिल्ली मेट्रो के कर्मचारी राजीव चौक टीसन प पहरा देत रहेलें आ चढ़ेवालन के खींच के रोक लेलें. कई बेर अइसन हो जाला कि परिवार के कुछ लोग भीतर बा आ बाकी लोग के बहरे रोक लीहल गइल अगिला मेट्रो के इनतजार करे ला. एगो सवाल हमरो मन में उठत बा कि एह देश के कवनो संस्था में अतना बेंवत बा का कि ऊ तय कर सकसु कि एक जगहा कतना लोग नमाज पढ़ सकी. ओह लोग के पूरा छूट बा कि ऊ सड़क, रेल लाइन, मैदान जहें मन करे तहें आपन चादर बिछा सकेला नमाज अदा करे खातिर. मूर्ति भसान तब होखी जब सरकार चाही बाकिर तजिया पर कवनो रोक-टोक ना लगावल जा सके. कमलेश तिवारी के जेल में डाल दीहल जाई बाकिर हिन्दुवन का घर में घुस के नमाज पढ़े के धमकी देबे वाला बेखौफ घुमीहें. सेक्सी दुर्गा नाम से फिलिम बना लीहल जाई बाकिर कुँवार गाभिन भा छह बरीस के बेगम के कवनो चरचा ना कइल जा सके. हिन्दु देवी-देवता के मजाक उड़ावल अभिव्यक्ति के आजादी कहाई बाकिर कार्टून बनावे वाता के गरदन काट लीहल जाई. फेंकू कहला में कवनो दोष नइखे बाकिर पप्पू ना कह सकीं. काहें कि पप्पू घटिया शब्द ह. बा केहू पुछे वाला एह आयोग से कि पता ना कतना लोग अपना बेटा के पप्पू कहि के काहें बोलावेला. अगर ई हिकारत देखावे वाला शब्द रहीत त केहू अपना बबुआ के पप्पू कहीत का ? सब लोग अब से अपना बेटा के पप्पू का बदले युवराज कहल करो ना त आयोग ओह लोग का खिलाफ एक्शन ले सकेले.
एगो अउर बाति रेघरिआवे जोग हो गइल बा. बतगंड़ अब फैशन बनि गइल बा. डाइऩो एगो घर छोड़ के राखेले वाला कहाउत के झूठ करत आजु के मीडिया केहू प आपन टोना कर सकेले. कुछ लोग त अपना करम से अपना करम के बिगाड़त चलि जाला आ जब ले सम्हरे तब ले बहुते देर हो गइल रहेला. पुरनका जमाना में अदालत प कवनो टीका टिप्पणी करे से पहिले लाख बेर सोचात रहुवे. बाकिर अपना करम से अदालत अपन करम फोड़ लिहलसि. जानत त सभे रहल कि भठियरपन में अब अदालतो कमजोर नइखे रहि गइल बाकिर कहे में सकपकात रहुवे लोग. अब अदालत में होखत घूसखोरी खुलेआम टीवी प देखावल जात बा. कुछ दिन में हो सकेला कि सेंसरो बोर्ड के जरुरत ना रहे. मीडिया अब इहो जिम्मा सम्हारल शुरु क दिहले बिया. भंड़ुअन के आमदनी पहिलहूं फिलिम के प्रचार से होखत रहल अब सुपर सेंसर होखे के नया बाजार खुल गइल. बोर्ड नाराज होखे त होखल करे.
(अतवार 19 नवम्बर 2017 का दिने कोलकाता से छपे वाला अखबार समाज्ञा में अँजोर भइल.)

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By Editor

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