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भासा संस्कार से बनेला आ संस्कार भासा से. भासा संस्कार देखावेले आ संस्कार भासा के इस्तेमाल के कमान सम्हारेले. कमान सम्हारे खातिर कई बेर कमानी चढ़ावे पड़ेला आ कई बेर कमाने से काम चल जाला. एह कमाने आ कमाई वाला कमाने के कवनो संबंध ना होखे. कमाने कहे के मतलब कि सिर्फ कमान दिहले भर से काम चल जाला. अब देखीं कि भोजपुरी में कहल एक शब्द कमाने के मतलब समझावे ला कतना लमहर बात कहे के पड़ गइल. हिन्दी में कहे ला ‘कमान से ही’ कहे के पड़ीत. कमान अंगरेजी के कमान्ड शब्द से उपजल शब्द ह. तीर धनुष के कमान पर चढ़ल कमानी से निकलल तीरो ओकर कमान मानेला आ ओही दिशा में जाला जवना दिशा में कमानी ओकरा के भेजले होखो. बाँस छील के पातर पातर सींक लेखा बनावल कमची से दउड़ी-छईंटा बिनाला. खेले में लड़िका ओकरो के तीर बना के खेलेलें जवना के नतीचा कई बेर बहुते नुकसान पहुँचा जाले. जे कमान-कमानी के कमान माने लायक अनुशासन ना राखत होखे ओकरा धनुष-कमान से ना खेले के चाही. शेर के सवारी करे वाला के हमेशा खतरा रहेला कि शेर से उतरी त शेरवे ओकरा के खा मत जाय.

कमान माने आदेशो होला आ आदेश देबहु वाला खातिर कमान के इस्तेमाल होला. कुछ लोग ओकरा के हाईकमान कहेला त कुछ लोग आलाकमान. हाईकमान माने कमान देबे वालन का सीढ़ी पर सबले उपर बइठल आदमी भा संस्था हाईकमान होले. आलाकमान माने जेकर कमान सबले आला, सबले अव्वल कमान होखे. हमरा हिसाब से जरूरी ना होखे कि हाईकमान आलाकमानो होखो. हाईकमान के कमान कवनो जरुरी ना कि आला होखबे करी. हाईकमान आ आलाकमान के फरक कमान माने वाला लोग बखूबी समुझेला. देश के एगो राजनीतिक गोल में एह घरी इहे बहस होखत बा, ना बहस कहल ठीक ना होखी, फुसफुसाहट चलत बा कि केकरा के हाईकमान दिहल जाव. त एगो गोल अइसनो बा जहाँ के आलाकमान महज हाईकमान बन के रहि गइल बा.

एह बीच एगो अउर शब्द के चरचा कर लेब तब असल शब्द पर आएब जवना चलते आजु के पूरा बतकुच्चन लिख गइनी. ऊ शब्द ह कमनीय. कमनीय माने होला सुन्दर, चाहेजोग, नीक लागे वाला. कमनीय कवनो जरूरी नइखे कि कवनो नारी का बारे में कहल जाव. नारी त सगरी कमनीय होली, ना मानत होखीं त कवनो नारी के अकमनीय बता के देखलीं. आम बोल चाल के भासा में इहे अकमनीय कमीना बन गइल. कमीना शब्द पिछला दिने राजनीति में जगहा बना लिहलसि जब एगो कमान अपना कमान का नीचा रहे वालन के कमीना बोल गइल. आ लोग समुझे के कोशिश करत बा कि कमीनन के कमान सम्हारे वाला के का कहल जाव. अकमनीय त अकमनीय होले ओकरा के महा के दर्जा दिहल महा के अपमान हो जाई आ कमीना का साथे महा जोड़ल महानता के अपमान हो जाई.

कमान से निकलल तीर आ मुँह से निकलल बान वापिस ना लवटावल जा सके. निशाना पर लागल तबो ना लागल तबो ऊ चरचा में आइए जाई. जबकि हमार कवनो मकसद नइखे कि कमीना के चरचा अपना कमनीय पढ़निहारन से करी.

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कुछ त कहीं......

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