– ओ. पी. सिंह

आजु अगर हम मौनी बाबा के वन्दना कइला बिना आपन बतंगड़ शुरु क दीं त ऊ बहुत बड़ अपराध हो जाई. मौनी बाबा जबले कुरसी धइले रहलन तबले उनुका मुँह से एगो बकार ना फूटत रहुवे. उनुका बारे में कहल गइल कि रेनकोट पहिर के नहात रहलें आ खूबे नहइलें. लूटे वाला लाखों-करोड़ों लूट ले गइलें आ ऊ अपना मौन बरत प बरकरार रहलें. बरीसन के अनुभव उनुका लगे रहुवे कि कइसे अपना सगरी पाप के घइला दोसरा का माथे फोड़ सकेलें आ बहुते खूबसूरती से ऊ आपन कारनामा क देखवलें. करोड़ों के घोटाला भइल त मौन रहलें. हलकटी आ हलकटन का खिलाफ बवाल होखे लागल तबहियों मौने रहलें काहें कि उनुका मालूम रहल कि भविष्य में का होखे जा रहल बा. मीडिया के पोसुआ बना के आ मनचाहल मूरतियन के बहाल करा के ऊ निश्चिन्त रहलन कि कुछु नइखे होखे वाला. जाँच करे वाला तोतनो प पूरा भरोसा रहुवे उनुका काहें कि उहो उनुके मातहती में रहलें.
त हलकटई का खिलाफ जब बवाल बहुते होखे लागल त हलकटन के अपने गिरफ्तार करवलन, अपने मुकदमा चलवलन आ अपने तोतन से एह सगरी हलकटई के जाँचो करा लिहलन. सरकार बदले से पहिले ओह हलकटई का खिलाफ चार्जशीटो जमा करवा दिहलन. सरकार बदलल त तोता त बदल गइलें बाकिर मूरतियन के बदलल नयका सरकार का बस में ना रहुवे. ई लोग एह खूबसूरती से बस-धँस गइल बा एह सिस्टम में आ एगो अइसन सिस्टम बना लिहले बा लोग कि एह लोग के चुनल आ बहाल कइल एही लोग का हाथे रह गइल बा आ खुलेआम अपना लगुआ-भगुआ, नात-रिश्तेदारन के अपना जमात में शामिल करत गइल बा ई लोग. त जब नयका तोता पुरनका मामिला में नया सबूत दिहल चहलें त साफे मना क दीहल गइल कि अब सगरी फैसला पुरनके चार्जशीट का आधार प होखी. आ अब जब फैसला आइल त उहे भइल कि सगरी हलकटन के बाइज्जत बरी क दीहल गइल. बाइज्जत एह सफाई का साथ कहत बानी कि अपना इज्जत का बारे में एहू लोग के मालूम बा. अपना मनमाफिक फैसला अइला का बाद मौनी बाबा चहके लागल बाड़न. आ हलकटन के गिरोह में जश्न के माहौल बा.
जनता ओकर माथ फोड़े में लाग गइल बिया जेकर एह मामिला में कवनो बस ना रहुवे. आ एह मूरतियन के अइसन प्रताप बा कि एह लोग का खिलाफ कुछ बोलल ना जा सके. बाकिर लोग बा कि बोले से बाँव नइखे आवत. खुलेआम कहल जा रहल बा कि बंद घर में मर्डर भइल. केहू बाहर से आइल गइल ना बाकिर घर वालन के कवनो दोष साबित ना हो सकल. करिया हिरण के केहू गोली ना मारल ऊ त अपने से गोली चला के खुदकुशी क लिहलस. सड़क किनारे सूतल लोग प गाड़ी चढ़ावे वाला के कवनो दोष ना रहुवे. ई लोग सूतले अइसन रहुवे कि गाड़ी बिना ड्राइवरे के एह लोग के कचारत-मुआवत चलि गइल. आदर्श में कवनो घोटाला ना भइल. जवन कुछ भइल तवन आदर्श रहल आ एह आदर्श खातिर कवनो नेता के दोष ना दीहल जा सके. दोष त ओह लोग के बा जे अइसन हलकटन के आपन नेता चुनलसि. आ अबहियों ओही लोगन के जयकारा करे के कोशिश हो रहल बा.
याद होखी रउरो सभन के अपना स्कूल कॉलेज के ऊ दिन जब एकाधे गो अनेरिया स्कूल-कॉलेज बन्द करा देत रहलें भा आजुओ इहे हो रहल बा. पोसुआ खबरण्डियन के जमात आ करियाह कमाई वालन के गिरोह मिलजुल के अइसन माहौल बनावे में लागल बाड़ें कि आम जनता बेवकूफ बने लागल बिया. हिन्दूवन के एका तूडे़ के बाकायदा प्लान बना के काम हो रहल बा. रउरा आपन मूरती भसान ना कर सकीं, अपना देवता के जयकारा ना लगा सकीं, आपन परब उत्सव ना मना सकीं, अंगरेजी स्कूतन में पढ़ेवाला हिन्दू तिलक मेंहन्दी ना लगा सकसु बाकिर क्रिसमस खातिर चन्दा दीहल आ ओह में शामिल भइल ओकर मजबूरी होखी. होली दिवाली हिन्दूवन के परब ह से ओकरा प तरह तरह के पाबन्दी लगावल जा सकेला बाकिर अजान, नमाज, तजिया, क्रिसमस सेकुलर काम ह, से ओकर विरोध ना कइल जा सके, ओकरा प कवनो तरह के पाबन्दी ना लगावल जा सके.
आखिर में बस एगो कहाउत सुनावल चाहब. सहलऽ काहें ? मरउव्वत में. त रोवत काहें बाड़ऽ ? काल्हु फेर बोलवले बा.
(कोलकाता के हिन्दी दैनिक समज्ञा में पिछला अतवार 24 दिसम्बर का दिने अँजोर भइल.)

Loading

By Editor

%d bloggers like this: