ई देश तरह-तरह के मुख्यमंत्री देख चुकल बा. बाकिर दिल्ली के मुख्यमंत्री के जोड़ खोजल मुश्किल बा. बिहार के लबार मुख्यमंत्री रहल चाराचोर रुपिया जतना कमइले होखसु बाकिर ओकरो इज्जत दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री जइसन नीचे कबो ना गिरल. कई दिन से ई नाकारा नौटंकीबाज मुख्यमंत्री अपना चुनिन्दा मंत्रियन समेत दिल्ली के उपराज्यपाल के अतिथि कक्ष का सोफा पर पसरल बा. धरना पर बइठल चार लोग में से दू गो अनशन पर बाड़ें आ दू गो खात-पियत. रामलीला मैदान का मंच पर अनशन करत एह केजरीवाल के स्टील का गिलास से कुछ पियत देखल जात रहुवे. स्टील गिलास वाला काम अब ई दू जने करत बाड़ें जेहसे कि अनशन पर बइठल दू जने के वजन मत गिरो.
आ जब मुख्यमंत्रिए के बात निकलल बा त कर्नाटक के कुमारोस्वामी साँच बोले के नया-नया नमूना पेश करत बाड़न. मुख्यमंत्री बनला का बाद साफे कह दीहलन कि हम जनता के भोट से मुख्यमंत्री नइखीं बनल एहसे हम जनता के फिकिर नइखीं करे जात. वइसे त नेतवन के जनता के फिकिर कबो रहबो ना करे बाकिर एह बाति के कहे के हिम्मत कवनो के ना होला. कुमारस्वामी एह मामिला में हिम्मतगर साबित हो गइले जब ऊ डंका के चोट पर साफ एलान कर दीहलन कि उनुका मुख्यमंत्री के कुरसी जनता के सपोर्ट से ना मिल के कांग्रेस के सपोर्ट से मिलल बा आ एहसे ऊ उहे करीहें जवन कांग्रेस उनुका के करे के कही. अतना साफगोई त मनमोहनो कबो ना देखा सकलन जबकि उहो अपना मलिकाईन का मर्जी का खिलाफ कबो कुछ ना कइलन. कुमारस्वामी फेरु एगो साफ बात कह देखवलन कि अगिला लोकसभा चुनाव 2019 का पहिले केहू के हिम्मत नइखे जे उनुका के छूइओ सके. असल में पत्रकारन के सवाल रहुवे कि नाम मात्र के सीट जीतला का बावजूद कांग्रेस का समर्थन से बनल उनुकर सरकार कतना टिकाऊ बिया. काहे कि कवनो उदाहरण नइखे जब कांग्रेस के समर्थन से बनल सरकार आपन समय पूरा कर सकल होखे. बाकिर कुमारस्वामी के मालूम बा कि तब के कांग्रेस आ अब के कांग्रेस में जमीन-आसमान के फरक बा. अगर कांग्रेस का लगे तनिका मान-सम्मान बाचल रहीत त ऊ एह तरह ठेहुनिया के उलुटा ना भइल रहीत कि – सईयां भइनी तोरा बस, जेने जेने मन करे तेने तेने धँस. कुमारस्वामी के मालूम बा कि अगिला लोकसभा चुनाव से पहिले सपनो में कांग्रेस के अतना हिम्मत ना जुट पाई कि ऊ उनुका के दीहल समर्थन वापिस ले लेव.
आ कुमारस्वामी का ठीक उलुटा बाड़न कांग्रेस के बबुआ. जहाँ-जहाँ चुनाव होले तहाँ-तहाँ एलान करत रहेलें कि सरकार बनला का दस दिन का भीतर किसानन के करजा माफ कर दीहल जाई. पंजाब आ कर्नाटक के किसान अबले तिकवते बाड़न बाकिर बबुआजी मध्यप्रदेश, राजस्थान, आ छतीसगढ़ में एलान कइल शुरु कर दीहले बाड़न. एकरा पाछे एक त शायद उनुकर भरोसा होखी कि पब्लिक के कुकुर नइखे कटले कि उनुका के सरकार बनावे दी. दोसरे अगर गलती से बनाइओ दी त दोष जनता के होखी जे साठ बरीस के कांग्रेसी सरकार देखला का बादो उनुका बात के भरोसा कइलसि.
बाकिर जनता के ठिकान ना होखे. फोकट के फायदा का लालच में दिल्ली के लोग केजरी के सरकार बना के अबहीं ले पछतात बा आ ऊ आराम से सोफा पर पसरल बाड़ें. उहो अपना सपोर्टर के नीकहा पहिचानत बाड़ें. बाकिर जनता अपना नेतवन के कहिया चिन्ही ?
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