हद, हदस, हदसल, हदसावल, हदसी, हदीस, हादसा (बतकुच्चन – 205)

हद, हदस, हदसल, हदसावल, हदसी, हदीस, हादसा. मामिला बेहद गंभीर बा आ बतकुच्चन करे में मन हदसल बा कि पता ना कब केने से इशरत के अब्बा भा वानी के फुआ सामने आ जइहें घेर बान्ह करे खाति. से हम अपना हद में रहे के भरपूर कोशिश करब. आ कुछ कहे से पहिले इहो बता दीहल चाहब कि एह बतकुच्चन के हदीस से कवनो संबंघ नइखे. जबकि सगरी दुनिया देखत बा कि कइसे अमन के मजहब के जाहिल नालायक उपदेशक के भाषणबाजी से सगरी दुनिया में हदस पसरल जात बा आ हदसल लोग में अतना बेंवत नइखे कि ऊ लोग दिमागी रुप से जकरल एह नाईक के तीरन पर रोक लगा सके. एगो उहो समय रहल बा एह देश में जब एह आगलगवना के बोलवा के देश के अफसरान के बुद्धि सिखावल जात रहे. आजुवो एकरा पैरवीकारन के कमी नइखे. आ एही चलते हमहू हदसल बानी.
मीडिया के एगो बड़हन तबका कब गँवे से मिडिलमैन बन गइल पते ना चलल. आ अब त ई जमात खुलेआम देशद्रोहियन के दलाली करे में लाग गइल बा. दहशतगर्द हदसी के मासूम सोशल एक्टिविस्ट बना के परोसे में लागल बा ई लोग. आगलगवना के अमन के उपदेशक बतावल जात बा. खैर छोड़ीं एकरो के. लवटल जाव भाषा के हद में.
हद माने होला सीवान, अंत, सीमा. एह हद के पार जाए में मन में एगो डर उपजेला. एही डर से मन में हदस होखे लागेला कि कवनो हादसा जनि हो जाव. हादसा अचके मे भइल ओह घटना के कहल जाला जवना से जानमाल के नुकसान हो जाला. हादसा असंभावित घटना के कहल जाला जवन अचके में हो जाला. रेलवे के एगो ध्येय वाक्य हवे – सतर्कता गई, दुर्घटना भई. बाकि सतर्क ओकरा से होखल जा सकेला जवना का पाछा कवनो तर्क होखो. अतार्किक बेतुक वाला बात से सतर्क ना रहल जा सके. जब कवनो घटना होखे के संभावना बनल रहेला त ओकरा से हदस ना होखे ओकर अनेसा होला. अनेसा होखल आ हदस होखल अलग अलग तरह के भाव होला.
कुछ लोग हादसा करावेला आ अपना एह बात से लोग के हदसवले रहेला. अब जे हदस गइल से त भइल हदसल, बाकि जे हदसावल ओकरा के कहल जाव? अंगरेजी के टेररिस्ट, हिन्दी के आतंकी, आ उर्दू के दहशतगर्द ला भोजपुरी में का कहल जाव? सभे जानेला आ मानेला कि भाषा समाज के बनइबे भर ना करे ओकरा से बनबो करेले. अब सहज भाव से जिएवाला भोजपुरिया समाज अइसनकन के सोचिए ना सकल. से शब्दकोष में खोजलो पर ना मिलल एह दहशतगर्दी भा हदसवनी करेवालन खाति कवनो शब्द. हमरा समुझ से अइसनका लोग के हदसी भा हदसावन कहल सहज होखी बाकि आखिरी फैसला त समाजे के करे के बा. हम आपन सुझावे भर दे सकिलें.
आ चलत चलत बतावल जरुरी लागत बा हदीस का बारे में. हदीस इस्लाम के एगो पावन ग्रंथ, पाक किताब ह जवना में पैगम्बर साहब के जीवन आ उहां के कहनामन के जिक्र दर्ज बा. भूल चूक ला माफी माँगत आदर से प्रणाम करत बानी एह ग्रंथ के.

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One thought on “हद, हदस, हदसल, हदसावल, हदसी, हदीस, हादसा (बतकुच्चन – 205)”
  1. बतकुच्चन के ई आखिड़ी कड़ी रहल जवन कोलकाता के अखबार सन्मार्ग में छपे ला भेजला रहनी. पता ना छपल कि ना बाकि एकरा बाद कवनो दोसर कड़ी ना लिखनी.

    बतकुच्चन के प्रकाशन काहे बन्द भइल एकरा बारे में जानकारी बाँटल जरुरी लागत बा. मामिला पुरान हो गइल बा तबो जान लीं कि सन्मार्ग का तरफ से आपत्ति कइल गइल कि हम दोसरा अखबार ला लिखल बन्द क दीं. कवनो एके गो अखबार के चुने के कहल गइल – सन्मार्ग के भा समाज्ञा के.

    चूंकि शर्त सन्मार्ग का तरफ से आइल रहल से हम इचिको देरी ना कइनी आ कह दीहनी कि सन्मार्ग ला लिखल बन्द करत बानी. आ एकरा बाद बतकुच्चन लिखल बन्द क दिहनी.

    तब से समाज्ञा पर बाति के बतंगड़ नियमित रुप से छपत बा जवना के हम एहिजो प्रकाशित क दीलें कुछ समय बाद. दुनू के शैली आ संस्कार अलग तरह के बा.

कुछ त कहीं......

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