केन्द्र सरकार देश में सीधे विदेशी निवेश बढ़ावे खातिर अपना विदेशी निवेश नीति में बदलाव कइले बिया जवना का बाद अब विदेशी कंपनी अपना साझीदार देशी कंपनी से अलगो आपन कारोबार कर सकेले. पहिले रोक रहे आ कहल रहे कि एह खातिर देशी साझीदार से मंजूरी लिहल जरुरी रही. अब विदेशी कंपनी आपन अलगो बिजनेस कर सकीहें. अब कंपनियन के दू तरह से वर्गीकृत कइल जाई. एक में ऊ कंपनी रहीहन सँ जवना के मालिकान देशी कंपनियन का हाथ में होखी आ दोसरका ऊ जवन विदेशी निवेशक सोझे अपने चलइहें. हालांकि सरकार के एह फैसला से देशी कंपनियन पर दबाव बढ़ जाई आ उनुका अपना विदेशी पटिदारन का हिसाब से चलल मजबूरी बन जाई.

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कुछ त कहीं......

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