काशी के विद्वान पंडितन का बीच एह बात पर एका हो गइल बा कि खिचड़ी 15 जनवरी के मनावल जाई. पिछला कुछेक साल से एह बारे में एका ना बन पावत रहे जवना चलते कतहीं 14 के त कतहीं 15 तारीख के खिचड़ी मनावत रहे लोग आ
एह चलते विद्वत समाज के किरकिरी होखत रहुवे.
अब एह ऐतिहासिक पहल का बाद उमेद कइल जा सकेला कि दोसरो तिथियन पर अइसहीं एक राय बना लीहल जाई.