नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (वार्ता). 12 बरीस से कम उमिर के बच्चियन से रेप करे वालन के फाँसी पर लटकावे वाला कानून के मंजूरी दिहलें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद. अध्यादेश के मंजूरी मिलते ई कानून लागू हो गइल बा आ साथही शुरु हो गइल बा लिबरल रुदाली.
चर्च एह कानून का खिलाफ बा आ खिलाफ उहो लोग बाड़ें जे एक दिन पहिले ले चिचिया चिचिया के रेप के सजा फाँसी करे के मांग करत रहलें. शायद ओह लोग के उमेद रहुवे कि सरकार अइसन कानून ना बनाई आ ओह लोग के राजनीति के धार तेज हो जाई. बाकिर ई लोग मौदी के समुझे में गलती कर दीहल.
विदेश से लवटले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपना अध्यक्षता में काल्हु केंद्रीय मंत्रिमंडल के बइठक बोला के एह ‘आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश 2018’ के मंंजूरी दिअवलन आ आजु राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एकरा के आपन मंजूरिओ दे दिहलें.
एह अध्यादेश से बाल यौन शोषण संरक्षण अधिनियम (पोक्सो), भारतीय दंड संहिता, साक्ष्य अधिनियम, अउर आपराधिक कानून प्रक्रिया संहिता में संशोधन कइल गइल बा. कानून में बदलाव का बाद अब 12 बरीस भा एहसे कम उमिर वाली बच्ची के रेप करे वाला के मौत के सजा होखल करी. पहिले अधिकतम सजा उमिर कैद के रहुवे आ कम से कम सात बरीस के जेल के.
अध्यादेश का मुताबिक, नाबालिगन से दुष्कर्म का मामिलन में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनावल जाई आ फॉरेंसिक जांच का जरिए सबूत जुटावे के व्यवस्था के मजगर बनावल जाई. पूरा मामिला के सुनवाई दू महीना में कर लेबे के होखी आ छह महीना का भीतर अपीलो के निपटारा करे के होखी. पूरा मामिला कुल 10 महीना में निपटावल अब जरुरी बना दीहल गइल बा.

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