लोकसभा चुनाव में मिलल बड़हन हार से परेशान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के अपना इस्तीफा पर अड़ला से उनुका गोल के पीडियन के कहो, उनुकर महतारी बहिनो उनुका के समुझे के कोशिश नइखी करत.
कई बरीस से राहुल बबुआ पीएम मोदी के देखा देखी राजनीति करे का कोशिश में लागल बाड़न. उनुके से सिखलन अँकवारी बान्हल, भाषण में सामने के जनता से हुँकारी पड़वावल. बाकिर सबकुछ का बावजूद जब उनुका मुँहकुरिए भहराए के पड़ल बा त सोचलन कि कमी कहाँ रहि गइल. बहुत माथापच्ची कइला का बाद पवलन कि उनुका लगे कवनो अमित शाह नइखे. बस ध लिहलन बातहठ आ इस्तीफा दे के बइठ गइल बाड़न.
उनुका के मनाए के कोशिश में उनुका गोल के सगरी लगुआ-भगुआ, इडी-पीडी, महतारी बहिन लागल बाड़ें बाकिर केहू उनुकर बालहठ माने के सोचते नइखे. असल में ओह लोग के बुझाते नइखे कि राहुल बबुआ अचानक अतना समुझदारी के बात कइसे करे लगलन.
कांग्रेस में चूंकि अइसन कवनो परम्परा नइखे कि दू आदमी मिल के गोल सम्हारे. एक आदमी संगठन देखे त दोसरका सरकारी कामकाज. एहसे ओह लोग के एकर समाधान नइखे बुझात. शुरुए से इन्दिरा कांग्रेस में पीएम आ गोल के अध्यक्ष एके आदमी के रहे के जवन परम्परा पड़ि गइल ओहसे हट के चले के सोचिए के पसीना छूटे लागत बा. काहे कि अगर दू आदमी हो जाई त लूट के माल एके खानदान का खाता में कइसे आई. सभे केहू मनमोहन त हो ना सके जे अध्यक्ष का इशारा पर आपन मान-सम्मान सबकुछ लुटा देव.
दोसर समस्या बा कि पीएम के गद्दी पता ना कब भेंटाई, तबले अध्यक्षो वाली कुरसी खानदान का बहरा चलि जाई त कांग्रेसी राज्य सरकारन से मिलल लूट के माल के बँटवारा कइसे होखी. आ अगर से कहीं मनमोहने जइसन माटी के माधओ मिलिओ जाई त ओकरा से कांग्रेसी गोल के उद्धार कइसे होखी.
बालहठ पर बइठल राहुल के मनावे के एगो आसान तरीका हम बतावत बानी. राबर्ट वाड्रा के अध्यक्ष बना दीहल जाव. ऊ गाँधी परिवार का बाहर के हउवन आ बँटवारा करहूँ के पड़ी त बहिन भाई का बीचे आधेआध कइलो में कवनो नुकसान ना होखी.

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कुछ त कहीं......

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