नयी दिल्ली, 07 मई (वार्ता) उच्चतम न्यायालय आजु यूपी में रहल अखिलेश सरकार के बनावल ओह कानून के खारिज कर दिहलसि जवना में व्यवस्था रहुवे कि एक बेर मुख्यमंत्री बन गइल लोग के भर जिनिगी ला सरकारी बंगला दीहल जाई.
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई आ न्यायमूर्ति आर भानुमति के पीठ एगो एनजीओ लोक प्रहरी के याचिका पर आपन फैसला सुनावत साफ क दिहलसि कि पूर्व मुख्यमंत्रियन के स्थायी तौर पर सरकारी बंगला हासिल करे के हक नइखे.
माथ न्यायालय उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ता अउर देसर प्रावधान) कानून के धारा 4(3) के ई कहत निरस्त कर दिहलसि कि एह तरह के कानून भेदभाव भरल बा. ई संविधान सम्मत नइखे.
माथ अदालत अगस्त 2016 में एगो फैसला सुनवले रहुवे जवना में कहल गइल रहल कि पूर्व मुख्यमंत्रियन के सरकारी बंगला दीहल नाजायज होई आ अइसन बंगला सरकार के लवटा दीहल जाए के चाहीं. बाकिर तब के राज्य सरकार कानून में संशोधन क के पूर्व मुख्यमंत्रियन ला स्थायी तौर पर सरकारी बंगला के प्रावधान क दिहलसि.

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