नागपुर, 7 जून (वार्ता) राष्ट्रपति रहल प्रणव मुखर्जी संघ के प्रशिक्षण शिविर के समापन के मौका पर अपना संबोधन में सहिष्णुता, एकता आ विविधता के भारत के सबले बड़ पहचान बतावत कहलें कि हमनी के अइसन राष्ट्र बनावे के बा जहाँ केहू के डर ना लागे आ सभे एकजुट हो के अपना मातृभूमि भारत के तरक्की खातिर काम करे.
प्रणव दा कहनी कि संविधान सभे के समान अधिकार दिहले बा आ हमनी के प्राचीन अउर गौरवशाली संस्कृतिओ हमनी के एके सूत में बन्हल रहे के शिक्षा दिहले बावे. महात्मा गांधी अहिंसा के सबले बडा हथियार बनवले रहलें आ कहले रहलें कि राष्ट्रवाद के आक्रामक ना होखे के चाहीं. पंडित नेहरूओ सबका के मिलके रहे आ आगे बढे के बात कहले रहलें.
राष्ट्रपति रहल प्रणव दा कहलें कि भारत के राष्ट्रवाद में वैश्विकता के भावना हमेशा से रहल बा. हमनी का दुनिया के वसुधैव कुटुम्बकम के मंत्र दिहले बानी. हमनी के राष्ट्रवाद में पूरा दुनिया के सुख के कामना कइल गइल बा. भारत हमेशा एगो खुलल सोच वाला समाज रहल बा आ एकर प्रमाण हमनी के धर्मग्रंथ आ संस्कृति में मिलेला. एही चलते 5000 साल से केहू हमनी के एकता के तूड़ नइखे पवले.
अपना संबोघन में भारतीयता, मातृभूमि, आ राष्ट्रभक्ति के कई बेर जिक्र कइला का बाद अपना संबोधन के अंत प्रणव दा वंदे मातरम कह के कइलन.

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