संजय लीला भंसाली के फिलिम पद्मावत के खिलाफ राजपूत संगठनन के विरोध आजु आपन बहुते खराब चेहरा देखा दिहलसि जब हरियाणा में एगो स्कूल बस से लवटत छोटहन बचवन के बवालियन के छोटपना झेले हड़ गइल. विरोध करे के एह तरीका के राजपूती आन आ शान का खिलाफ माने के पड़ी काहें कि राजपूत कबो कवनो निहत्था प वार ना करे. अगर कइलसि त ऊ राजपूत ना हो सके.
दुख के बाति इहो बा कि विरोध करे के जायज तरीका का साथे केहू नइखे लउकत. अभिव्यक्ति के आजादी के इस्तेमाल कबो कवनो दोसरा पंथ का साथे ना कइल जाला. जब होला त हिन्दू धर्म का खिलाफ. दोसरा पंथ का बारे में त एगो कार्टूनो बवाल के घर बन जाला. सलमान रुशदी के लिखल किताब पर रोक लाग जाला. तसलीमा के कवनो आजादी ना मिल पावे. अगर सरकार कानून व्यवस्था प खतरा भाँपत फिलिम के रोके चहली सँ त न्यायालय आड़े आ गइल. ई न्यायालय कबो हिन्दू धर्म का साथे खड़ा काहें ना मिले, हमेशा ओकरा खिलाफे एकर फैसला काहें आवेला.
वइसे पता ना साँच कि झूठ फिलिम देख चुकल लोगन के कहना बा कि एह फिलिम में राजपूती आन बान शान का खिलाफ कवनो बाति नइखे आ एहमें राजपूतन के शूरवीरते देखावल गइल बा. त काहें ना एह फिलिम के रिलीज होखे के इन्तजारे कर लीहल जाव आ ओकरा बाद फिलिम में कुछ गलत मिले तब विरोध के तलवार भाँजल जाव.

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कुछ त कहीं......

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