अश्लीलता भोजपुरी के ताकत ह कमजोरी ना

भोजपुरी के नवजागरण पर बलिया में चरचा

अतवार 8 मई का दिने बलिया के बापू भवन में विश्व भोजपुरी सम्मेलन के जिला इकाई के अठवां अधिवेशन आयोजित भइल. बिहार आ यूपी के भोजपुरी विद्वान लोग एगो विचारगोष्ठी में शामिल भइल जवना के मथैला रहल – “भोजपुरी भाषा, साहित्य आ कला के नवजागरण”.


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(फोटो में बाँए से – भगवती प्रसाद द्विवेदी, प्रेमशीला शुक्ल, अरुणेश नीरन, बिजय मिश्र, जयकान्त सिंह जय, जनार्दन राय, त्रिभुवन प्रसाद सिंह प्रीतम आ अशोक द्विवेदी)


चरचा के शुरुआत कइलन मऊ से आइल कवि साहित्यकार डा. कमलेश राय आ एह चरचा के आगा बढ़वलन पटना से आइल कवि साहित्यकार डा. भगवती प्रसाद द्विवेदी. भोजपुरी के शुरू से लगा के आजु तकले के विकास यात्रा के सिलसिलेवार वर्णन करत दुनू वक्ता भोजपुरी में बढ़त अपसंस्कृति पर चिन्ता जाहिर कइलें. बाकिर एकरा बाद संबोधन देबे देवरिया से आइल हिन्दी आ भोजपुरी के प्रख्यात लेखिका आ समालोचक डा. प्रेमशीला शुक्ल सबका के चउँका दिहली. इहाँ के कहनी कि अश्लीलता भोजपुरी के ताकत ह कमजोरी ना. कहनी कि आमजन के भाषा होखे का एही ताकत से भोजपुरी आजु ले जिन्दा बिया आ लगातार आगे बढ़ल जात बिया.

भोजपुरी के सार्वजनिक मंच से पहिला बेर कवनो दमदार साहित्यकार आ ओहू ले खास कि एगो महिला साहित्यकार एह बेबाक तरीका से भोजपुरी का खिलाफ चले वाला एह बेमतलब के बहस पर आपन राय राख दिहली. हॉल में मौजूद सुनवहिया लोग ताली बजा के आपन समर्थनो दे दीहल. जाने जोग आ रेघरियावे वाली बात बा कि कुछ लोग लगातार भोजपुरी में बढ़त अश्लीलता का खिलाफ मुहिम चलावत रहेला आ अइसनका खिलाफत के पूरा सहयोग मिल जाला ओह लोग के जे भोजपुरी के बढ़न्ती से परेशान बा. आ जे लोग एह राय से सहमत ना होखे ओह लोग के रिरियवलो से बाज ना आवे ई लोग. अब देखे जोग रही कि प्रेमशीला शुक्ल जी के एह बयान पर कइसन प्रतिक्रियाआवत बा.

डा. प्रेमशीला शुक्ल के संबोधन का बाद अइनी विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अंतर्राष्ट्रीय महासचिव डा. अरुणेश नीरन. नीरन जी एह मुद्दा पर उठल सनसनाहट के सम्हारत कहनी कि हर भाषा अपना विकासक्रम में एह दौर से गुजरेले. आ जब भोजपुरी के संभ्रान्त तबका अपना बात बेवहार में भोजपुरी के इस्तेमाल शान से करे लगीहें त ई समस्या अपने आप गँवे गँवे बिला जाई. आपन अनुभव बतावत नीरन जी कहनी कि हम त हर जगहा भोजपुरी में बतिया चुकल बानी आ एहमें कबो लाज ना लागे हमरा. नीरन जी के कहना रहल कि साहित्य आ कला के हर विधा में भोजपुरी आपन दमदार मौजूदगी दर्ज करावत बिया आ इलेक्ट्रानिको मीडिया पर एकर शानदार मौजूदगी देखल जा रहल बा. भोजपुरियन के कवनो तरह के हीन भाव रखला के जरुरत नइखे.

संविधान के अठवां अनुसूची में शामिल होखे का राह में भोजपुरी के सोझा खाड़ समस्यन के जिक्र करत नीरन जी के कहना रहल कि सबले बड़ दुश्मन त हमहने का बीच बाड़न. एह सूची में भोजपुरी के बहुत पहिलहीं शामिल कर लीहल गइल रहीत बाकिर तब एह पर विचार करे वाली समिति में शामिल भोजपुरिए इलाका के साहित्यकार हजारी प्रसाद द्विवेदी एकर पत्ता काट दिहलन. अपने त विरोध में टीपबे कइलन बाकियो सदस्यन पर दबाव बना दिहलन कि उहो लोग विरोधे में आपह राय देव.

पहिला सत्र के एह विचार गोष्ठी से पहिले कौशल कुमार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आ विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अंतर्राष्ट्रीय महासचिव डा. अरुणेश नीरन, विशिष्ट अतिथियन विश्व भोजपुरी सम्मेलन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगदीश नारायण उपाध्याय, डा. प्रेमशीला शुक्ल आ बिहार विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभागाध्यक्ष डा. जयकान्त सिंह जय का साथही बाकी खासमखास अतिथियन के स्वागत कइलें. एहमें डॉ. ब्रजभूषण, डॉ. प्रकाश उदय, डॉ. कमलेश राय, दयाशंकर तिवारी, मिथिलेश गहमरी, अक्षय पांडेय, विजय शंकर पांडेय, विजय मिश्र, डॉ. शत्रुघ्न पांडेय, विजल मिश्र, डा. जनार्दन राय, त्रिभुवन प्रसाद सिंह प्रीतम वगैरह के नाम लीहल जा सकेला.

भोजपुरी दिशाबोध के पत्रिका का रुप में प्रतिष्ठित पत्रिका पाती का तरफ से अक्षर सम्मान से मुजफ्फरपुर के साहित्यकार डा. ब्रजभूषण मिश्र आ बलिया के साहित्यकार कन्हैया पाण्डे. के सम्मानित कइल गइल. अक्षर सम्मान में नारियल, अंगवस्त्र, स्मृति चिह्न्, प्रमाण पत्र, आ प्रशस्तिपत्र का साथे पाँच हजार एक रुपिया के नकद राशि दीहल गइल. डा. ब्रजभूषण मिश्र नकद राशि के भोजपुरी के काम में लगावे खातिर विश्व भोजपुरी सम्मेलन के बलिया इकाई के दान क दिहनी. एही मौका पर कन्हैया पाण्डेय के लिखल कहानी संग्रह – जिनिगी के जुआ – के विमोचनो कइल गइल.

दुसरका सत्र में लोक गायन के कार्यक्रम भइल जवना में शैलेन्द्र मिश्र, ओमप्रकाश, अतुल कुमार राय, अनुभा राय, अरविन्द उपाध्याय, विजय शंकर उर्फ विक्की पाण्डेय वगैरह गवैया लोग अपना गवनई से सभका के झूमा दिहलें.

आखिरी आ तिसरका सत्र कवि सम्मेलन के रहल जवना में करीब दू दर्जन कवि लोग आपन आपन कविता सुनवलें.

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