बसन्त फागुन
(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से आखिरी प्रस्तुति) - डा॰अशोक द्विवेदी धुन से सुनगुन मिलल बा भँवरन के रंग सातों खिलल तितलियन के लौट आइल चहक, चिरइयन के!…
First Bhojpuri Website & Resource for Bhojpuri Scholars
(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से आखिरी प्रस्तुति) - डा॰अशोक द्विवेदी धुन से सुनगुन मिलल बा भँवरन के रंग सातों खिलल तितलियन के लौट आइल चहक, चिरइयन के!…
- डा॰अशोक द्विवेदी कोइलरि कूहे अधिरतिया आ बैरी चइत कुहुँकावे. रहि रहि पाछिल बतिया इ बैरी चइत उसुकावे. कुरुई-भरल-रस-महुवा, निझाइल कसक-कचोटत मन मेहराइल उपरा से कतना सँसतिया, आ बैरी चइत…
पिछला दिने पहली फरवरी के मुंबई में भोजपुरी के एगो खास काव्य संध्या के आयोजन भइल. खास एह माने में कि मराठी भाषी प्रबुद्ध लोग के मानस के मर्म छू…
- डा॰अशोक द्विवेदी रतिया झरेले जलबुनिया फजीरे बनि झालर, झरे फेरु उतरले भुइयाँ किरिनिया सरेहिया में मोती चरे ! सिहरेला तन, मन बिहरे बेयरिया से पात हिले रात सितिया नहाइल…
- डा॰अशोक द्विवेदी हम तोहके कइसे लिखीं? कइसे लिखीं कि बहुते खुश बानी इहाँ हम होके बिलग तोहन लोग से... हर घड़ी छेदत-बीन्हत रहेला इहवों हमके गाँव इयाद परावत रहेला…