राजनीति में जवाहर लाल नेहरू के पदार्पण मानल जा सकेला जब साल 1920 मेें ऊ प्रतापगढ़ में किसान मार्च के नेतृत्व कइले रहलन. ओकरा बाद बरीसन ले चलल आजादी केे लड़ाई का बाद साल 1947 में देश के आजादी मिलल. मोहनदास करमचंद गाँधी (जिनका के देेश आजुओ महात्मा गाँधी का नाम सेे जानेला आ उनुका के मोहनदास करमचन्द का नाम सेे लिखला पर बहुतेे लोग के छनछनी हो जाई) केे कांग्रेस पर बहुतेे प्रभुत्व रहुवे आ ओही प्रभुत्व का बल पर मोहनदास करमचन्द जवाहर लाल नेहरू के देश के पहिलका प्रधानमंत्री बनवा दीहलन. जबकि कांग्रेस में बहुमत रहुवेे लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के. आ बिना कवनो पद पर रहले सगरी अधिकार समेटले राखे वाला मोहनदास लोकतांत्रिक अधिनायकवाद के पहिला उदाहरण मानल जा सकेलें. खाली नेहरू के पीएम बनवले लेे उनुकर अधिनायकत्व ना चलल, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का खिलाफो उनुकर एकतरफा मनमाना बेवहार जग जाहिर बा.
रउरा सभे सोचत होखब कि हमहूं यूट्यूब पर रिलीज होखे वाला मीडिय चैनलन का वीडियो का तरह काम करत बानी. यूट्यूब पर जारी वीडियो केे मथैला आ ओकरा में शामिल खबर मेें अधिकतर कवनो नाता रिश्ता ना होखे. कह सकीलें कि भवह-भसुर वाला नाता होखेला. बाकिर हम केजरीवाल के जिक्र से शुरु अह पोस्ट के मथैला आ लेख के सामग्री केे संबंध बनवलेे राखे वाला बानी.
जवाहर लाल नेहरू के जिक्र कइला के मकसद रहुवेे ई बतावल कि 1955 मेें अपने चलावल सरकार का सस्तुति पर अपने के भारत रत्न दिलवा लिहले रहले जवाहर. जवाहर एगो मोतिए के नाम होला ! आ साल 1959 मेें अपना बेटी इन्दिरा केे कांग्रेेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवा दिहले रहलन. देश में सरकारी घोटालन के शुरुआत नेहरू सरकार का दौरान भइल जीप घोटाला से मान लिहला में कवनो हरज ना होखी. आ राजनीति में वंशवाद केेे शुरुआत बेटी के अध्यक्ष बनवा के कर दिहलन. खुद प्रधानमंत्री आ बेेटी कांग्रेेस अध्यक्ष ! सत्ता सेे संगठन ले हर जगहा आपन कब्जा. बाकिर ई सभ करे में आ राजनीति में उनुकर पदार्पण का बीच करीब चालीस बरीस लागल रहुवेे.
राजनीति में भठियरपन आ वंशवाद के शुरुआत जब एक बेर हो गइल त बेहाया का पौधा का तरह ई बेमारी तेेजी सेे सगरो पसरल शुरु कर दिहलसि. जनता त्रस्त होकेे साल 1974 मेे गुजरात सेे एगो आन्दोलन के शुरुआत कइलसि जवना के नाम रहल नवनिर्माण आन्दोलन. ई आन्दोलन स्वत:स्फूर्त रहुवेे सेे एकरा मे कवनो नेतृत्व हावी ना रहुवेे. बाकिर आन्दोलन में शामिल लोग सोचलसि कि अगर कवनो बड़हन पुरनिया नेता एह आन्दोलन के नेेतृत्व सम्हार लेव त आन्दोलन के ताकत बहुते बढ़ जाई आ अपना लक्ष्य के जल्दिए पा ली. ओह समय एगो राजनेेता मिललन जयप्रकाश नारायण. अइसन ना रहुवे कि ऊ सत्ता के राजनीति कइल ना चाहत रहलन. बाकिर मिले त मारीं ना त बाल ब्रह्मचारी वाला अंदाज में उनुका मौके ना मिलल आ ऊ एगो ईमानदार नेता का रूप में आपन छवि बनवलेे रखलन. ओही जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन के नेतृत्व थमा दीहल गइल आ ऊ हो गइलन जेपी ! जन आन्दोलन के ताकत एह जोग रहुवेे कि ऊ समग्र भा संपूर्ण क्रान्ति करवा सकल भा ना बाकिर देश केे एगो नया नेता मिल गइल लालू प्रसाद यादव का रूप में. अब देश के बारी रहुवेे मोहनदास के जवाहर के झेलला का बाद जेपी के लाल लालू के झेलल.
1974 में शुरु आन्दोलन के परिणति भइल साल 1977 में जनता सरकार सेे. आ 1990 ले लालू प्रसाद के मौका मिल गइल बिहार के मुख्यमंत्री बने के. चपरासी क्वार्टर सेे जिनिगी चलावत लालू कब अरबो-खरबो के संपति के मालिक बन गइलन सेे जनता थाहिए ना सकल. लालूओ जल्दबाजी में रहलन भठियरपन के नया-नया रिकार्ड बनावे केे. बाकिर कहले गइल बा कि अति हमेशा खराब होला. लालू के अति उनुका के जेल में चहुँपा दिहलसि. आ जेल जाए सेे पहिले लालू अपना मेमसाहिब राबड़ी देवी के बिहार केे मुख्यमत्री बनवा दिहलन. पता ना का साँच ह, का झूठ बाकिर लोग त इहो कहेला कि राबड़ी दस्तखत करे सिखली मुख्यमंत्री बनला का बाद. लालू प्रसाद केे सात बरीस लागल रहुवेे मुख्यमंत्री बनला का बाद जेल जाए मेें. आ अतने दिन अपना राजद के परिवार के संपति बना लेबे मेें.
संजोग देखीं कि काग्रेसी सरकारन के भठियरपन सेे परेशान बेहाल जनता के फेरू एगो मौका मिल गइल साल 2011 में अन्ना आन्दोलन का रूप में. आन्दोलन शुरु त भइल 2011 मे बाकिर बहुते पहिले सेे भारत विरोधी विदेशी सरकार आ हिन्दू विरोधी संस्था लाग गइल रहली सँ एगो मोहरा तइयार करे में आ ऊ मोहरा रहल अरविन्द केजरीवाल के. अरविन्द केजरीवाल के एनजीओ इंडिया अगेन्स्ट करप्शन के भरपूर आर्थिक सहजोग मिलल. तरह तरह के पुरस्कारो सेे नवाजल गइल एह मोहरा के आ जसहीं मौका मिलल इनका के लाँच क दीहल गइल अन्ना आन्दोलन से.
गाँधी के जवाहर, जेपी के लालू का बाद अब बारी आइल अन्ना के केेजरी के. कहलन कि राजनीति ना करब, क लिहलन. कहलन कि कबो कांग्रेस भा भाजपा से गठबन्हन ना करब, क लिहलन. कहलन कि सरकारी गाड़ी बंगला ना लेब, लेे लिहलन आ ओकरो से संतोष ना भइल त शीश महल बनवा लिहलन अपना रहे ला. हम त नइखीं देखले, ना पूरा से जानत बानी बाकिर जानकार लोग के कहना बा कि हगे खातिर कमोडो लगावल बा आठ लाख के ओह शीश महल में. अपना के भारत रत्न दिआवेे केे त अधिकारे ना रहल सेे अपना के कट्टर ईमानदार के उपाधि से सुशोभित कर लिहलन. भठियरपन का आरोप में जेल जाए वाला अपना मंत्रियन के भारत रत्न जोग बतावेे लगलन आ ओहनी के तुलना भगत सिंह सेे करेे लगलन. मंत्रियन के जेेल गइला का बाद ओहनी सेे त मंत्रीपद आ मत्री आवास छीन लिहलन बाकिर जब अपना पर आइल त दावा करे लगलन कि जेलेे से सरकार चलइहेें. बाकिर लागत बा कि चला ना पइहें त अब हो सकेला के अपना मेहरारू सुनीता केजरीवाल के मुख्यमत्री बनवा देसु. बड़े मियाँ त बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभानल्लाह ! सुनीता केजरीवाल बिना मुख्यमंत्री बनलहीं मुख्यमंत्री का कुरसी पर बइठ के बयान देबे लागल बाड़ी. आ आतिशी भा सौरभ के हिम्मत नइखे कि सपना देख सकसु. राघव चड्ढा त लंदन से लवटे के नामे नइखन लेत. उनुका निकहा सेे मालूम बा कि कुरसी त मिली ना बाकिर अइसन मत होखे कि जेल जाए के मुहुर्त आ जाव !
बाकिर आपिस्तनियन के कम समुझे के गलत मत करब सभे काहें कि सभले आगे रहीहें आपिस्तानी !