भउजी हो, तू सनातनी हिन्दू हऊ कि अरामी हिन्दू

भउजी हो !

का बबुआ ?

तू सनातनी हिन्दू हऊ कि अरामी हिन्दू ?

हम बूझनी ना ? का पूछल चाहत बानी ?

इहे कि तू सनातनी हिन्दू हऊ कि अरामी हिन्दू ?

सनातनी त बूझनी, बाकिर ई अरामी का होला ? हरामी कहल चाहत बानी का ?

ना भउजी, गरियाइब काहें तोहरा के हरामी कहि के ? गाली गलौज के भासा सभ्य समाज में इस्तेमाल ना होखे के चाहीं. हम त अरामी कहनी ह, अरामी माने जेकरा राम में विश्वास ना होखे, जेकरा अपना सनातन संस्कृति से प्यार ना होखे. हँ, अब बतावऽ कि तू सनातनी हिन्दू हऊ कि अरामी हिन्दू ?

ए बबुआ हमरा सोच से त सगरी हिन्दू सनातनी होलें. जे सनातनी ना हवे से हिन्दुओ ना हो सके. बाकिर एह सवाल के जरुरत काहें पड़ गइल ?

एहसे कि आजु ई सवाल सभका सभका से पूछे के चाहीं ?

फेरु पूछब, काहें ?

एहसे कि आजुकाल्हु हिन्दुस्तान में एगो विपक्षी गिरोहबन्दी हो रहल बा आ ओकरे एगो बरियार गुरगा काल्हु आवाज उठवले बा कि सनातनियन के जड़मूल से उन्मूलन कइल जरुरी हो गइल बा. आ एकरा खिलाफ ओह गिरोह में से केहू का मुँह से बकार नइखे निकलल.

अइसन काहें बबुआ ? हिन्दुस्तान में रहि के हिन्दूवन के विनाश करे के केहू कहल त दूर सोचिओ कइसे सकेला ?

एहसे भउजी कि हिन्दूवन में अरामी हिन्दुवन के तादाद सनातनी हिन्दुवन से कई गुना बा आ ओह इण्डि गिरोह के पूरा भरोसा बा कि अरामी हिन्दुवन के अपना साथे मिला के सनातनियन के विनाश आराम से कइल जा सकेला.

ए बबुआ, ऊ जमाना चलि गइल जब खलील मियाँ फाख्ता उड़ावल करसु आ भर गाँव टकटकी लगा के देखत रहुवे. अब हिन्दुओ अपना सनातन खातिर जागे लागल बाड़ें.

ना भउजी, अइसन नइखे. हिन्दू अइसन नींद सूतल बाड़न कि ओहनी के जगावल आसान नइखे. भा इहो कहि सकेलू कि सुतलका के जगावल जा सकेला बाकिर सूते के बहाना कइले के जगावल असंभव होला. अगर हिन्दू जागल रहतन त आजु पूरा देश में, हर टीवी चैनल पर, हर अखबार में, हर गोल में सनातनियन के उन्मूलन के बाति करेवाला का खिलाफ जम के हल्ला भइल रहीत.

ई त गंभीर चिन्ता के बाति बा.

हँ भउजी, उमीद कइल जाव कि जल्दिए एकर खण्डन-मण्डन आवल शुरु हो जाई.

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