नामी ज्ञानी आ विचारक लोग बड़हन-बड़हन ग्रन्थ लिख के ओतना ना समुझा पावे जतना एकाध लाइन में ट्रक-बस का पाछे लिखे वाला बरनन कर जाले. आ एही में जोड़ल जा सकेला सोशल मीडिया के ज्ञानियन के. इहो लोग कुछेक लाइन में अतना ज्ञान परोस देला कि लागेला कि अइसनके लोग के देख के लिखाइल रहुवे कि – सतसइया के दोहरे अरु नावक के तीर, देखन में छोटन लगे घाव करें गम्भीर. हालही में अइसनको एगो ज्ञानी बुझउवल बुझवलें कि अगर पप्पू बबुआ के अपहरण हो जाव त फिरौती के दी, भाजपा कि कांग्रेस ? आ इनका सवाल के जवाब दिहला से पहिले याद आ गइल कि एगो अपहर्ता अंगुरी काट के एगो औरत के पति से कहलसि कि तोहार मेहरारु हमरा कब्जा में बाड़ी. उनुकर सलामती चाहत होखऽ त जल्दी से फिरौती चहुँपा द. पति इत्मीनान से जबाब भेजलसि कि पहचान साबित नइखे होत, मूड़ी भेजऽ.
खैर, ई क्षेपक त अइसहीं आ गइल बीच में. असल में त हम मणिशंकर अय्यर के बात कहल चाहत रहीं. मणि वाला नाग के किस्सा आदमी बहुते सुनले बा बाकिर मणिशंकर वइसन नाग हउवन जिनका लगे एक से एक लाजबाब मणि बा जवनन के ऊ बीच बीच में निकालत रहेलें आ भाजपा के जोरदार फायदा करा जालें. चउदह का चुनाव में उनुकर चाय वाला तंज अतना मजगर साबित हो गइल कि कांग्रेसी चाय का नामे से बिदके लगले. ओकरा बाद गुजरात चुनाव का बेरा मोदी के नीच आदमी बता के उनुकर काम आसान कर दिहलें. मणि के पाकिस्तान प्रेमो जब ना तब छलकत रहेला आ एही भरोसे ऊ उमेद राखेलें कि पाकिस्तानी हुक्मरान मोदी के हरवावे में उनुकर सहायता करीहें. अबकियो पाकिस्तान जा के मणि अपना ज्ञान के मणि देखावत कहलें कि मोदी से घबराए के जरुरत नइखे. मोदी के त महज तीसे फीसदी लोग पसन्द करेला, सत्तर फीसदी लोग त उनुका विरोध में बा हिन्दुस्तान में. शायद ऊ इशारा दीहत चाहत रहलन कि पाकिस्तान चढ़ बइठो भारत पर आ भारत के सत्तर फीसदी लोग मोदी का खिलाफ ओकर सहायता कर दी.
आ एहीजे से हमार चिन्तन शुरु भइल कि देखीं सभे सत्तर फीसदी वालन के हरवावे खातिर अगर तीस फीसदी लोग चाहे त सत्तर फीसदी वालन के अलगा अलगा गुट में बाँट के आपन काम आसान कर सकेला. एह बात में एगो बड़हन बाति ई बा कि देश के सत्तर फीसदी वाला लोग एह बात के समुझे के कोशिश करे कि विरोधी तीस फीसदी वाला हर जुगत लगवले बा कि तू लोग आपुसे में लड़-कट मरऽ. तोहरा लोग के कबो दलित का नाम पर, कबो आरक्षण का नाम पर भड़कावल जात रहेला कि तू लोग एकजुट मत हो पावऽ. पिछला बेर तनिका धेयान दिहलऽ लोग त भारत में एगो चुनावी इतिहास बन गइल. एगो अइसन गोल के बहुमत वाला सरकार बनि गइल जवना में तीस फीसदी वाला केहू रहबे ना कइल. बाकिर पता ना ऊ कवन बीमारी ह कि अपना के सदाशयी देखावे बतावे का फेर में मोहमाया के घुन घुस जाला आ बिना जीतलहुं तीस फीसदी वालन के मकसद सधे लागेला अउर सत्तर फीसदी वाला लोग टुकुर-टुकुर देखते रहि जाला.
अगिला चुनाव का पहिलहीं से सावधान रहला के जरुरत बा. मणि के बात गाँठ बान्ह लीं सभे. एक बेर आपन हिस्सा ले के फरका हो चुकल राउर गोतिया अपना खानदान के फेरु रउरे घर में घुसवले जात बा आ रउरा मेहरबानी देखावत ओकरा पर अपनो बाल बचवन से अधिका मोहाए लागल बानी. अबकी बेर ऊ हिस्सा नइखे माँगे वाला, ओकरा सउँसे चाहीं.